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राष्ट्रपति ने पुणे का भावी घर में रहना त्यागा

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नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अवकाश प्राप्‍त करने के बाद पुणे स्थित अपने भावी घर में निवास के संदर्भ में लगातार भ्रामक बातें पढ़ती और देखती आ रही हैं। उन्‍होंने इस पर कोई प्रतिक्रियाएं नहीं की हैं, क्‍योंकि ये स्‍वयं को देश के संविधान और अपनी अंतरात्‍मा के प्रति जवाबदेह मानती रही हैं। ऐसी उम्‍मीद थी कि जब तथ्‍य लोगों के सामने आ जाएंगे तो संबंधित लोगों का संदेह दूर हो जाएगा, लेकिन राष्‍ट्रपति सचिवालय के स्‍पष्‍टीकरण के बावजूद यह बहुत दुर्भाग्‍यपूर्ण और भ्रामक धारणाएं कायम हैं।
राष्‍ट्रपति ने सबसे अधिक दुःख इस बात प्रकट किया है कि कुछ लोग उनके बारे में यह धारणा फैला रहे हैं कि वे अवकाश प्राप्‍त करने के बाद सुरक्षा बलों को दिए जाने वाले घर में रहेंगी, किस तरह उन्‍हें शहीदों की विधवाओं और पूर्व सैनिकों के प्रति असंवेदनशील बताया जा रहा है, लेकिन इसकी सच्‍चाई इसके विपरीत है। मीडिया को बताया गया है कि राष्ट्रपति को हमेशा अपने बहादुर जवानों पर गर्व रहा है, जो सीमाओं की रक्षा करने के लिए अपना बलिदान देने के वास्‍ते हमेशा तत्‍पर हैं, वे शहीदों की विधवाओं का बहुत सम्‍मान करती हैं, जिनके परिजनों ने राष्‍ट्र की एकता और सुरक्षा के लिए अपने प्राण दिए। सैन्‍य बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्‍होंने तंगधार, भद्रवाह, लेह और पूर्वोत्तर के दुर्गम स्‍थानों की यात्राएं भी की हैं, इसलिए यह कहना या सोचना बिल्‍कुल गलत होगा कि वे शहीदों की विधवाओं और पूर्व सैनिकों के लिए बनाए गए सुविधाओं का इस्‍तेमाल अपने निजी काम के लिए करेंगी।
राष्ट्रपति भवन की ओर से बताया गया है कि जब वे राजस्‍थान की राज्‍यपाल थीं तो उस वक्‍त भी उन्‍होंने शहीदों की विधवाओं की समस्‍याओं को हल करने के लिए काम किया था। उनके उस कार्यकाल के दौरान राजस्‍थान में शहीदों की विधवाओं के लिए हास्‍टल और पुनर्वास केंद्र का निर्माण हुआ था। जब राज्‍यपाल के रूप में उन्‍होंने शहीदों की विधवाओं के प्रति इतनी संवेदना दिखाई थी तो ये कैसे समझा जा सकता है कि वे अवकाश प्राप्‍त करने के बाद सैन्‍य सुविधाओं का इस्‍तेमाल अपने लिए करेंगी। रक्षा मंत्रालय ने उनके लिए जो आवंटन प्रस्‍तावित किया था, वह कभी भी शहीदों की विधवाओं के लिए चिन्हित नहीं रहा था, इसके बावजूद राष्‍ट्रपति ने निर्णय किया है कि भ्रामक धाराओं को शांत करने के लिए वे पुणे में उस प्रस्‍तावित घर में अवकाश के बाद नहीं रहेंगी। इससे आशा की जाती है कि इसके बाद विवादास्पद धारणाओं को विराम लग जाएगा।

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