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नई दिल्ली। महिला और बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की अद्यतन रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2010 के अनुसार वर्ष 2009 की तुलना में बालकों के भारतीय दंड संहिता और विशेष एवं स्थानीय कानूनों के अंतर्गत किए गए अपराधों में क्रमश: पांच प्रतिशत एवं 40.8 प्रतिशत की कमी आई है।
बच्चे विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारणों से अपराध करते हैं, तथापि, उस बच्चे को, जो अपराध करता है और जिसे पर्यवेक्षण/विशेष गृहों में रखा जाता है। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम में यथा उपबंधित शिक्षा, परामर्श एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से एक ईमानदारी पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कानून का उल्लंघन करने वाले ऐसे बच्चों, जिन्हें गृहों में नहीं रखा जाता है, को भी परामर्श प्रदान किया जाता है।
सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ऐसे बच्चों के लिए पर्यवेक्षण गृहों एवं विशेष गृहों की स्थापना एवं रख-रखाव के लिए समेकित बाल संरक्षण स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों, परामर्श आदि देता है। समेकित बाल संरक्षण स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को अन्य बातों के साथ-साथ गृहों को छोड़कर जाने वाले बच्चों को संस्थागत जीवन से स्वतंत्र जीवन तक संक्रमण काल के दौरान सतत सहायता प्रदान करने के लिए पश्च देख-रेख सेवाओं के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन सेवाओं में आवासीय सुविधा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, रोजगार प्राप्त करने में सहायता, परामर्श एवं वज़ीफा आदि शामिल है।