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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सोमवार को लोकसभा में एन पीताम्बर कुरूप के प्रश्न के लिखित उत्तर बताया है कि जो रक्षा परिसंपत्ति अपनी तकनीकी आयु पूरी कर लेती है, उसका स्थानापन्न या उन्नयन एक निरंतर प्रक्रिया है और यह सुनिश्चित करने के उपाय किये जाते हैं कि परिचालन तैयारी का आवश्यक स्तर हर हाल में बनाए रखा जाएगा। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य योजना (एलटीपीपी) में दर्शाया गया है कि विमान और उपकरणों का अधिग्रहण अगले 15 वर्षों (2012-2027) के लिए किया जाएगा। इस योजना में आईएएफ की लड़ाकू क्षमता के क्षमता निर्माण और उन्नयन की रूप रेखा का निर्धारण किया गया है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान हस्ताक्षरित मुख्य अनुबंधों में से कुछ इस प्रकार हैं-एस यू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान, तेजस हल्का लड़ाकू विमान, मध्यम लिफ्ट हेलीकॉप्टर, मध्यवर्ती जेट प्रशिक्षक और हॉक अग्रिम जेट प्रशिक्षक। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के राडार, एयरबोर्न शस्त्र प्रणाली और वायु रक्षा प्रक्षेपास्त्र प्रणालियां भी खरीदी गईं। भारतीय वायु सेना ने अपनी संचालन क्षमताओं के रखरखाव के लिए अपने मिग-29, मीराज-2000 और जगुआर बेड़े के उन्नयन का काम भी हाथ में लिया है। 2012-13 के लिए पूंजीगत वसूली के लिए बजट आवंटन 30,514 करोड़ रुपये है। रक्षा प्राप्ति प्रक्रिया (डीपीपी) के अधीन रक्षा के उपकरणों की प्राप्ति में घरेलू उद्योग की भागीदारी की पर्याप्त गुंजाइश है। इसमें ‘खरीदना और बनाना’, ‘खरीदना और बनाना (भारतीय)’ और ‘बनाना’ वर्ग शामिल हैं।