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नई दिल्ली। डिजाइन और उत्पादन विकास की दिशा में हस्तशिल्प क्षेत्र कड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। वस्त्र मंत्रालय की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने एक से नौ अप्रैल 2012 के दौरान स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड का दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य खास तौर पर स्कैंडिनेवियाई देशों के प्रमुख यूरोपीय डिजाइनरों और डिजाइन संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित करना था।
प्रतिनिधिमंडल में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) एसएस गुप्ता, हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन बोर्ड के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार, राष्ट्रीय डिजाइन और उत्पाद विकास केंद्र के सह-अध्यक्ष रवि के पासी और राष्ट्रीय डिजाइन और उत्पाद विकास केंद्र के कार्यकारी निदेशक आरके श्रीवास्तव शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने इन देशों में हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने के लिए क्रेता-विक्रेता मुलाकात, व्यापार प्रदर्शनियों और भारत के लोक शिल्प महोत्सव के आयोजन के लिए संभावनाएं तलाशने के लिए स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड में प्रमुख डिजाइन संस्थानों के साथ कई बैठकें कीं और साथ ही स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड में भारत के राजदूतों से भी मुलाकातें कीं।
स्वीडन के डिजाइनरों से सहयोग प्राप्त करने के लिए स्वीडिश स्कूल ऑफ टेक्सटाइल्स के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किए गए। स्वीडिश स्कूल ऑफ टेक्सटाइल्स यूरोप को प्रमुख शिक्षा और अनुसंधान कार्यक्षेत्र के रुप में माना जाता है। इस स्थान पर सृजनात्मकता और प्रौद्योगिकी का मिलन होता है। यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रुप में विकसित हुआ है। स्वीडिश स्कूल ऑफ टेक्सटाइल्स विश्व के अनेक प्रमुख विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को सहयोग प्रदान करता है। प्रतिनिधिमंडल ने घरेलू वस्त्र के क्षेत्र में गहन रुप से कार्य करने के लिए डेनमार्क के कोपनहेगन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर टेक्सटाइल रिसर्च के प्रतिनिधियों के साथ भी मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल ने कौशल विकास, क्षमता विकास और नेक्स्ट जेन कार्यक्रम जिसकी जल्द ही भारत में शुरुआत होगी, के संबंध में आईकेईए स्वीडन के साथ मुलाकात की। वह डेनमार्क के डेनिश डिजाइन स्कूल के प्रतिनिधियों से भी मिला। यह स्कूल 135 वर्षों से भी अधिक समय से डिजाइनरों और कारीगरों को शिक्षा प्रदान कर रहा है, और अंतरराष्ट्रीय पहुंच के साथ डैनिश डिजाइन और कला के विकास में शामिल है।