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नई दिल्ली। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री मिलिंद देवड़ा ने लोकसभा में बताया है कि ऐसे ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्र में जहां अभी फिक्स्ड वायरलेस और मोबाइल कवरेज नहीं हैं, वहां मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु 27 राज्यों के पांच सौ जिलों में 7353 अवसंरचना स्थलों /टावरों को संस्थापित करने तथा उनका संचालन करने के लिए यूएसओ निधि से साझा मोबाइल अवसंरचना योजना शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि देश के दूर संचार सेवा से वंचित गांवों में चरणबद्ध रूप में मोबाइल संचार सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु समय-समय पर सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओएफ) योजनाएं तैयार की जाती हैं। ऐसे गांवों या गांवों के समूह जिनकी आबादी दो हजार या इससे अधिक हो और जहां मोबाइल कवरेज उपलब्ध न हों, वहां इस योजना के तहत टावर स्थापित करने के लिए विचार किया गया था। इक्तीस मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार इस योजना के तहत 7306 टावर अथार्त लगभग 99.35 प्रतिशत टावर स्थापित कर लिए गये हैं। मोबाइल सेवा प्रदान करने के लिए मोबाइल सेवा प्रचालकों द्वारा 31 मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार 15720 बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) लगाए गए हैं।
गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित नौ राज्यों के ऐसे 2199 स्थानों की पहचान की है, जहां किसी भी सेवा का कोई कवरेज उपलब्ध नहीं है और इस संबंध में दूर संचार को सूचित किया गया है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने पहले ही 363 ऐसे स्थानों पर टावर स्थापित कर दिया है और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराने और उनका प्रबंधन करने के लिए मनोनयन आधार पर यूएसओएफ से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए मंत्रिमंडल से अनुमोदन प्रदान करने हेतु अनुरोध करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में देश के विनिर्दिष्ट ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में मोबाइल सेवाए उपलब्ध कराने के लिए यूएसओएफ द्वारा वर्ष 2007 में साझा मोबाइल अवसंरचना योजना के क्रियान्वयन हेतु करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं तथा इस योजना की अनुमानित लागत 588 करोड़ रूपये हैं।
इक्तीस मार्च 2012 की स्थिति के अनुसार 2001 की जनगणना के अनुसार 5,80,556 गांवों की कुल संख्या का 97.8 प्रतिशत गांव ग्रामीण सार्वजनिक टेलीफोन (वीपीटी) सुविधा से जोड़ दिया गया और शेष ऐसे गांवों में यह सुविधा अगस्त, 2012 तक उपलब्ध करा दिए जाने की संभावना है, जिन गांवों में अन्य वायरलाइन या वायरलेस प्रौद्योगिकी पर वीपीटी उपलब्ध कराना संभव नहीं है उनमें वीपीटी डिजिटल उपग्रह फोन टर्मिनल (डीएसपीटी) पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।