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नई दिल्ली। भारत में आठ बुनियादी उद्योगों की रफ्तार साल बीते वित्तीय वर्ष 2011-12 में 4.3 प्रतिशत पर सिमट गई। यह बहुत खराब स्थिति मानी जा रही है। इसके पूर्व वर्ष में यह 6.6 प्रतिशत यानि फिर भी अच्छी थी। आठों उद्योगों की विकास दर में गिरावट कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, उर्वरक और कोयला क्षेत्र में उत्पादन में हुई कमी के चलते हुई। मार्च 2012 में इन उद्योगों की रफ्तार घटकर दो प्रतिशत रह गई है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारत सरकार के नीतिगत अनिर्णय के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2011-12 में सबसे खराब प्रदर्शन प्राकृतिक गैस क्षेत्र में हुआ है। इस क्षेत्र के उत्पादन में पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 8.9 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसके अतिरिक्त उर्वरक उद्योग का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। उद्योग के उत्पादन में मात्र 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी ही हो पाई। उत्पादन में एक प्रतिशत या उससे कुछ अधिक की वृद्धि करने वाले उद्योगों में कोयला और कच्चा तेल शामिल हैं। इनके मुकाबले स्टील, सीमेंट और बिजली क्षेत्र ने वर्ष 2011-12 में कमोवेश बेहतर प्रदर्शन किया। आठ प्रमुख उद्योगों कच्चा तेल, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, प्राकृतिक गैस, उर्वरक, कोयला, बिजली, सीमेंट और तैयार इस्पात का सकल औद्योगिक उत्पादन में 37.9 प्रतिशत आइआइपी के सालाना प्रदर्शन पर भी असर दिखाएगा। मार्च 2012 में बिजली, इस्पात और उर्वरक क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि दर कम होकर क्रमशः 2.1, 2.3 और 1.5 प्रतिशत रही।