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घरेलू हिंसा के मामलों में राज्यों को सलाह

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नई दिल्ली। महिला और बाल विकास मंत्रालय की राज्‍य मंत्री कृष्‍णा तीरथ ने राज्‍यसभा में बताया है कि घरेलू हिंसा से संबंधित महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005, 26 अक्‍टूबर 2006 से प्रभाव में आया है। राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो के आंकड़ों के अनुसार इस अधिनियम के तहत वर्ष 2007, 2008, 2009 और 2010 के दौरान क्रमश: कुल 5788, 5643, 7802, और 7575 मामले दर्ज किए गए।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम का संरक्षण अधिनियम धारा 12 की उप-धारा संबंधित (5) के तहत मजिस्‍ट्रेट से अपेक्षा की जाती है कि वह पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिन के अंदर धारा 12 उप-धारा (1) के तहत किए गए प्रत्‍येक आवेदन का निपटान करे, अधिनियम के उपबंधों के तहत मजिस्‍ट्रेट से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह पहली सुनवाई की तारीख सुनिश्चित करे जो कि साधारणतया कोर्ट में आवेदन प्राप्‍त होने के बाद तीन दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए। अधिनियम राज्‍य सरकारों, संघ राज्‍य क्षेत्र प्रशासनों से क्रियान्वित की जाती है। केंद्र सरकार समय-समय पर अधिनियम के क्रिया‍न्‍वयन की समीक्षा करती रहती है। केंद्र सरकार प्रथम स्‍तरीय न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट, मेट्रोपोलिटन मजिस्‍ट्रेट को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामलों को निपटाने के लिए राष्‍ट्रीय राज्‍यीय न्‍यायिक अकादमी के प्रशिक्षण पर जोर देती है।
घरेलू हिंसा से संबंधित महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के क्रियान्‍वयन की संमीक्षा के लिए 11 और 12 जनवरी 2012 को संगठित किए गए राष्‍ट्रीय परामर्श में साथ ही साथ सिफारिश की गई कि-मामलों के समय पर निपटान के लिए न्‍यायिक सदस्‍यों के लिए राज्‍य सरकार प्रशिक्षण कार्यक्रम गठित कर सकती है। विशेष रूप से घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत दर्ज किए गए मामलों में एक सप्‍ताह के अंदर दिन निश्चित करने के लिए अनुदेश जारी करने के लिए राज्‍य उच्‍च न्‍यायालय से संपर्क कर सकते हैं।

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