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नई दिल्ली। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री वीरभद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि उनका मंत्रालय देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन करता है, इनमें प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) एक प्रमुख सहायक कार्यक्रम है, जोकि गैर कृषि क्षेत्रों के सूक्ष्म उद्योग स्थापित करने के लिए मार्जिन मनी से छूट देने और उद्यमिता प्रशिक्षण देने के लिए वर्ष 2008-09 में शुरू किया गया। यह कार्यक्रम बैंकों की सहभागिता से खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्डों (केवीआईबी) और जिला उद्योग केंद्रों ( डीआईसी) से चलाया जाता है।
सामान्य श्रेणी के लाभार्थी परियोजना लागत की मार्जिन मनी का ग्रामीण क्षेत्रों में 25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 15 प्रतिशत लाभ उठा सकते हैं। विशेष श्रेणी के लाभार्थियों जैसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिलाओं को यह लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में 35 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत मिलता है। परियोजना की अधिकतम लागत विनिर्माण क्षेत्र में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
पीएमईजीपी के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) प्रशिक्षण एक आवश्यक तत्व है। केवीआईसी इस उद्देश्य के लिए पीएमईजीपी की प्रमुख एजेंसी है। जिसने ईडीपी प्रशिक्षण के लिए देशभर में 558 प्रशिक्षण केंद्रों को मान्यता प्रदान की है, साथ ही साथ इसने राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यापार विकास संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम संस्थान (एनआईएमएसएमई) और भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) गुवाहाटी आदि से समझौता भी किया है। उद्यमियों को राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर प्रदर्शनी में सहभागिता के माध्यम से विपणन में भी सहयोग किया जाता है।