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नई दिल्ली। पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने लोकसभा में बताया कि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने देश में खतरनाक अपशिष्टों के समुचित प्रबंधन और निपटान के लिए जोखिममय अपशिष्ट (प्रबंधन, निपटान और सीमापारीय लदान) नियम 2008 अधिसूचित किए है। उन्होंने कहा कि ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और निपटान) नियम 12 मई 2011 को अधिसूचित किए गए थे और ये 1 मई 2012 से लागू हो गए है। इन नियमों में इलेक्ट्रॉनिक एवं इलैक्ट्रीकल निर्माताओं की विस्तारित जिम्मेदारी की अवधारणा की गई है। इसके अधीन उत्पादकों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे संग्रहण केंद्र स्थापित करके अपने उत्पादों के खराब होने पर ई-वेस्ट का संग्रहण कराये या अपने उत्पादों को बदल दे।
राज्य मंत्री ने यह भी बताया है कि इन नियमों के अधीन संग्रहण केंद्रों को संबद्ध राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इन नियमों के लागू होने की तारीख से 3 महीने की अवधि में अनुमोदन प्राप्त करना होगा। इसी प्रकार विखंडनकर्ताओं और पुर्नचक्रणकर्ताओं से संबद्ध एसपीसीबी से अनुमोदन एवं पंजीकरण प्राप्त करने होंगे। उत्पन्न ई-अपशिष्ट का पर्यावरणीय दृष्टि से निपटान के लिए उसे प्राधिकृत पंजीकृत और पुर्नचक्रणकर्ताओं के पास भेजना होगा। तथापि, इन नियमों का उल्लंघन करने पर एसपीसीबी पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई कर सकता है।