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नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में बताया कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भेषज कंपनियों के अधिग्रहण के बारे में व्यापक आंकड़े उनके मंत्रालय के पास नहीं हैं, तथापि, अप्रैल 2009 से फरवरी 2012 के बीच दवा और भेषज क्षेत्र में 341.49 मिलियन अमरीकी डॉलरों के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इक्विटी आगमन का रिकॉर्ड रखा गया है। उन्होंने कहा कि भेषज क्षेत्र में एफडीआई संबंधी मौजूदा नीति के बारे में 8 नवंबर 2011 को समीक्षा की गई थी, इसके अनुसार ग्रीनफील्ड निवेश के लिए स्वत: मार्ग के अधीन शतप्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई थी। दूसरे, सरकार अनुमोदित मार्ग के अधीन मौजूदा कंपनियों में शतप्रतिशत एफडीआई के द्वारा निवेश की अनुमति दी गई थी।
राज्य मंत्री ने कहा है कि तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्रों में खोज संबंधी गतिविधियों पेट्रोलियम उत्पादों और प्राकृतिक गैस के विपणन से संबंधित अवसंरचना, पेट्रोलियम उत्पाद, पाइपलाइन और प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के विपणन में स्वत: मार्ग के अधीन शतप्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों ने पेट्रोलियम शोधन क्षेत्र में सरकार के अनुमोदित मार्ग के अधीन 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है, इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के मौजूदा प्रतिष्ठानों में घरेलू निवेश प्रभावित नहीं होता। उन्होंने यह भी बताया है कि सूक्ष्म, लघु और मझोला उद्यम विकास अधिनियम 2006 के अधीन परिभाषा के अनुसार एमएसई में एफडीआई क्षेत्रीय सीमाओं, प्रवेश मार्गों और अन्य संबद्ध क्षेत्रीय नियमों पर निर्भर करती है।
सिंधिया ने बताया कि ऐसे औद्योगिक प्रतिष्ठानों जो सूक्ष्म अथवा लघु स्तरीय प्रतिष्ठान नहीं है, पर उनकी निर्मित वस्तुएं एमएसई क्षेत्र के लिए आरक्षित है और 24 प्रतिशत से अधिक विदेशी पूंजीगत निवेश है, तो सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता होती है। ऐसे प्रतिष्ठानों को उद्योग (विकास और नियमन) अधिनियम 1951 के अधीन औद्योगिक लाइसेंस भी प्राप्त करना होता है। इन प्रतिष्ठानों पर निर्यात का दायित्व उनके व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन शुरू करने की तिथि से और उद्योग (विकास और नियमन) अधिनियम 1951 के क्षेत्र 11 के प्रावधानों के अधीन लागू होता है। राज्य मंत्री ने यह भी बताया है कि इन क्षेत्रों में एफडीआई नीति में परिवर्तन का कोई प्रस्ताव इस समय विचाराधीन है।