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विरोध के बावजूद केंद्र एनसीटीसी पर कायम

एनसीटीसी पर मुख्‍य मंत्रियों की बैठक समाप्त

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र पर मुख्‍यमंत्रियों की दिन भर चली बैठक रविवार को समाप्त हो गई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बैठक की अध्‍यक्षता की। मुख्‍यमंत्रियों ने अपने भाषणों में इस विषय पर विभिन्‍न चिंताएं व्‍यक्‍त कीं और देश में आतंकवाद विरोधी मशीनरी को मजबूत बनाने के लिए विभिन्‍न सुझाव दिये। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने समापन भाषण में अभिसरण और उन क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जिन पर और विचार करने की आवश्‍यकता है। चिदंबरम ने विचार व्‍यक्‍त किया कि हमारे देश के सामने आतंकवाद की चुनौती का सामना करने के लिए सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव पर उपयोगी विचार-विमर्श हुआ है।
उन्‍होंने कहा कि मैं इस बैठक में खुले दिमाग़ से आया था और अपने मस्तिष्‍क को खुला रखना जारी रखूंगा और मैं आप सब को आश्‍वासन देता हूं कि सरकार के कोई फैसला लिये जाने से पहले आपके सुझावों पर सावधानी से विचार किया जाएगा, तथापि सरकार को अंतत: निर्णय लेना ही होगा, इतनी तात्कालिकता के मामले पर कोई निर्णय न लेने से उन लक्ष्‍यों की दिशा में प्रगति नहीं होती, जिनके लिए हम यहां मिले हैं तथापि, यदि मैं अभिसरण के मामलों और उन क्षेत्रों पर प्रकाश नहीं डालते जिन पर अधिक विचार करने की आवश्‍यकता है, तो यह मेरी कोताही होगी।
बैठक में हुए विचारों के आदान-प्रदान का निष्कर्ष निकालते हुए गृहमंत्री ने विचार व्‍यक्‍त किया कि इस बैठक में दो अलग-अलग मुद्दों पर व्‍यापक सहमति हुई है-एक, एनसीटीसी अथवा उस प्रकार के एक संगठन की आवश्‍यकता है। दूसरे, यदि इस प्रकार का संगठन बनाया जाता है, तो उसके अधिकार और कार्य क्‍या होने चाहिएं। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्रियों के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया कि उन्‍होंने प्रस्‍ताव के बारे में समर्थन अथवा विरोध का अंतर बनाए रखा और यह कहना उचित होगा कि कुछ वक्‍ताओं ने प्रस्‍ताव का जोरदार समर्थन किया, कुछ अन्‍यों ने सीमित समर्थन किया, जबकि अन्‍यों ने प्रस्‍ताव को पूरी तरह अस्‍वीकार कर लिया। उन्‍होंने कहा कि हम उन सुझावों पर गंभीरता से विचार करेंगे, जिन्‍होंने प्रस्‍ताव का जोरदार समर्थन किया है और जिन्‍होंने इन प्रस्‍तावों को पूरी तरह अस्‍वीकार करने का सुझाव दिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि तीसरा पहलू आतंकवाद विरोधी एजेंसी की भूमिका के बारे में है, एक प्रकार से यह हमारी प्रणाली के लिये नई बात है। उन्‍होंने कहा कि हमारे पास सतर्कता एजेंसियां भी हैं, खोजी एजेसियां भी हैं, लेकिन कानून और व्‍यवस्‍था के प्रशासन की परंपरागत प्रणाली के अधीन सतर्कता और खोजी एजेंसियों के बीच हमारे पास पुलिस है, लेकिन इस पद पर अपने पिछले साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में दौरान मेरा अनुभव मुझे बताता है कि हमें एक साधारण पुलिस संगठन की आवश्‍यकता नहीं है, बल्कि हमें आतंकवादी विरोधी संगठन की आवश्‍यकता है, जो राष्‍ट्रीय अधिकार के सभी तत्‍वों को गति प्रदान करे, इसलिए हमारा विश्‍वास है कि एनसीटीसी अथवा इसी प्रकार का कोई संगठन अथवा अन्‍य किसी नाम का संगठन अति आवश्‍यक है।
उन्‍होंने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में हमें आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में उल्‍लेखनीय सफलताएं प्राप्‍त भी हुई हैं लेकिन कहीं-कहीं हमें विफलता का सामना भी करना पड़ा है, हमारी विफलता का कारण मुख्‍य रूप से हमारी क्षमता की कमी रहा है, कई बार हम समय पर निर्णय न लेने के कारण विफल रहे, विफलता के प्रत्‍येक मामले में अन्‍य आतंकवादी आक्रमण की संभावना बनी रहती है, इसलिए हम असफल होना बिल्‍कुल सहन नहीं कर सकते। विरोधी या शत्रु 100 बार में से 99 बार असफल हो सकता है, परंतु राज्‍य, सरकारें, सौ में से एक बार असफल रहना भी सहन नहीं कर सकतीं। विफलता के प्रत्‍येक मामले में कहीं न कहीं कुछ आतंकवादी आक्रमण होगा, इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है, कि हम इन कमजोरियों पर विजय पाएं, हमारा विचार है कि एनसीटीसी अथवा इस प्रकार का कोई संगठन इस खाई को पाट सकेगा।
गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारें मिलकर काम करने से हम अपने लोगों के लिए इस देश को निश्चित रूप से अधिक सुरक्षित बना सकते हैं। उन्‍होंने एक बार फिर दोहराया की आपके सभी सुझावों पर ध्‍यानपूर्वक विचार किया जाएगा और जब कोई निर्णय लिया जाता है अथवा जब कोई निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो हम निश्चित रूप से विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।

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