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कन्‍या को बचाने के लिए कई योजनाएं

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नई दिल्ली। महिला और बाल विकास मंत्री कृष्‍णा तीरथ ने बताया है कि जनगणना, 2011 के अं‍तिम आंकड़ों से पता चलता है, कि यद्यपि देश में समग्र लिंग अनुपात में सुधार हुआ है और 2001 में यह 933 से बढ़कर वर्ष 2011 में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्‍या 940 हो गई है तथापि 6 वर्ष तक के आयु वर्ग में बच्‍चों का लिंग अनुपात तेजी से गिरा है, जो 2001 में 1000 लड़कों पर 927 लड़कियों से घटकर 2011 में प्रति 1000 लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्‍या 914 रह गयी है। यह गिरावट 1961 से लगातार जारी है।
सरकार मानती है कि भारत में बच्‍चों के लिंग अनुपात में गिरावट कोई अलग परिदृश्‍य नहीं है, किंतु इसे समग्र रूप से घर में और घर के बाहर महिलाओं और बालिकाओं की निम्‍नतर स्थिति के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना है। इसके तात्‍कालिक कारणों में बेटे की चाहत और उन्‍नत प्रौद्योगिकी को माना जा सकता है, जिसके द्वारा लिंग चयन करके गर्भपात कराने को प्रोत्‍साहन मिलता है। इसके लिए दहेज प्रथा के साथ-साथ बालिका की सुरक्षा की चिंता भी कम जिम्‍मेदार नहीं है, तदनुसार देश में बालिकाओं की उत्तरजीविता और स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं।
बालिकाओं सहित सभी बच्‍चों के पोषण में सुधार लाने हेतु समेकित बाल विकास स्‍कीम, राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन, मध्‍याह्न भोजन स्‍कीम आदि कार्यक्रम हैं। बालिकाओं के लिए विशिष्‍ट उपायों में प्रसवपूर्व नैदानिक तकनीक (लिंग चयन का प्रतिषेध) अधिनियम 1994, ‘धनलक्ष्‍मी’ नामक प्रायोगिक नकदी अंतरण स्‍कीम, बच्‍चों के लिंग अनुपात में सुधार लाने के लिए क्षेत्रीय अभिनव परिषद की स्‍थापना और देश के चुनिंदा 200 जिलों में स्‍कूल छोड़ चुकी बालिकाओं पर विशेष ध्‍यान देते हुए 11-18 वर्ष के आयु वर्ग की किशोरियों के लिए एक व्‍यापक उपाय हेतु प्रायोगिक स्‍कीम ‘सबला’ का क्रियान्‍वयन शामिल है।
बाल अधिकार संगठन के निष्‍कर्ष
महिला और बाल विकास मंत्रालय की राज्‍य मंत्री कृष्‍णा तीरथ ने यहा भी बताया कि प्‍लान इंडिया, जो एक अंतर्राष्‍ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, द्वारा संदर्भित अध्‍ययन भारत के पांच राज्‍यों से 6011 उत्तर देने वालों (किशोर एवं युवा) से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। प्रश्‍नों में उठाये गये बिंदुओं को गैर-सरकारी संगठन ने सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों के रूप में सूचीबद्ध किया है। उल्‍लेखित प्रतिशत केवल सर्वेक्षण में उत्तर देने वालों से संबंधित है और यह राष्‍ट्रीय औसत को नहीं दर्शाती है। सरकार सर्वेक्षण में भागीदार नहीं है। प्‍लान इंडिया जैसे बहुपक्षीय संगठन अथवा गैर-सरकारी संगठन रिपोर्टें एवं समीक्षाएं उनकी अपनी कार्यनीतियों, पूर्वधारणाओं एवं विशेषताओं के संबंध में तैयार की जाती हैं। पुरानी धारणाओं को धीरे-धीरे बदलने के मुद्दे के समाधान हेतु सरकार विधान, नीति अवसंरचना, कार्यक्रमात्‍मक उपायों सहित विभिन्‍न स्‍तरों पर कार्य करती है। इसमें सिविल समाज के संगठन, प्रिंट और इलैक्‍ट्रॉनिक मीडिया की भागीदारी वाले बहुक्षेत्रीय जागरूकता विकास एवं समर्थन अभियान आदि भी शामिल होते हैं।

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