स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीकांत कुमार जेना ने बताया है कि राज्य औषधि नियंत्रण प्रशासन, राष्ट्रीय औषध मूल्यन प्राधिकरण (एनपीपीए) 12वीं योजना अवधि में राज्यों में अपने कार्यालय खोलेगा, जो एनपीपीए और राज्य के बीच तालमेल लाएंगे और औषधि (मूल्य एवं नियंत्रण) आदेश 1995 (डीपीसीओ 1995) के प्रावधानों की देखरेख के लिए नोडल एजेंसी का काम करेंगे। इस दफ्तर में लोग ज्यादा कीमत वसूली, दवाएं न मिल पाने तथा ऐसी ही शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। ये कार्यालय एनपीपीए से संबंधित सभी मामलों के जिम्मेदारी संभालेंगे।
नामरूप उर्वरक संयंत्र की पुनर्स्थापना
श्रीकांत कुमार जेना ने बताया कि नया ब्राउनफील्ड अमानिया-यूरिया परिसर की स्थापना के लिए तकनीकी आर्थिक संभाव्यता रिपोर्ट मई 2011 में जांच, सिद्धांत रूप में अनुमोदन और बारहवीं पंचवर्षीय योजना में परिव्यय के आवंटन के लिए योजना आयोग को भेजी गई थी। योजना आयोग ने उर्वरक विभाग को नामरूप-4 नामक नया संयंत्र लगाने के लिए संयुक्त उद्यम बनाने की सलाह दी। नई परियोजना में समान भागीदारी के लिए मैसर्स ऑयल इंडिया लिमिटेड, मैसर्स जीएनवीएफसीएल और असम सरकार के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया गया।
उन्होंने कहा कि नये संयंत्र पर कुल 3311 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, इसमें ऋण का इक्विटी के साथ अनुपात 2:1 होगा, चूंकि बीवीएफसीएल घाटे में चलने वाली कंपनी है, नया ब्राउन फील्ड संयंत्र लगाने के लिए उसके पास आवश्यक धन नहीं है और प्रस्तावित संयंत्र का सार्वजनिक स्वरूप बनाये रखने के लिए योजना आयोग से मार्च 2012 में फिर अनुरोध किया गया कि परियोजना के लिए बारहवीं पंचवर्षीय योजना के आयोजन परिव्यय में 695.52 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाए। योजना आयोग ने उत्तर दिया कि परियोजना के सिद्धांत रूप में अनुमोदन से पहले धन लगाने के तरीकों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए और इस प्रकार निजी क्षेत्र की कंपनियों से इक्विटी भागीदारी के लिए खुली बोली और रूचि की अभिव्यक्ति की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।