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नई दिल्ली। श्रम और रोजगार मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि वह सभी श्रमिकों और खासतौर से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वाजिब न्यूनतम मजदूरी दिलाना सुनिश्चित करे ताकि वे अच्छा जीवन बिता सकें। नई दिल्ली में आयोजित बैठक में संसदीय समिति के सदस्यों ने सरकार से अनुरोध किया कि वह राष्ट्रीय श्रम नीति बनाने की प्रक्रिया पूरी करें, ताकि देश भर में सभी वर्गों के मज़दूरों का भला हो सके।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में बड़ी संख्या में श्रमिक उपलब्ध हैं और अनपढ़ और असंगठित होने के चलते उनका शोषण संभव है। उन्होंने कहा कि इस बड़ी श्रम शक्ति के लिए मजदूरी तय करना बाजार की ताक़तों पर नहीं छोड़ा जा सकता। वर्ष 1948 के न्यूनतम मजदूरी कानून के अंतर्गत राज्य और केंद्र दोनों को मिलकर मजदूरी तय करनी होती है, समीक्षा करनी होती और संशोधन करना होता है, ताकि विभिन्न वर्गों के श्रमिकों के हितों की रक्षा हो सके। कानून का उद्देश्य श्रमिकों का शोषण रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि सबसे निचले वर्ग के श्रमिकों को वाजिब मजदूरी मिल सके।
वर्ष 1948 में जब न्यूनतम वेतन अधिनियम बनाया गया था, तब सिर्फ 13 वर्गों के श्रमिक इसमें शामिल किये गए थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे और श्रमिक वर्ग इस सूची में शामिल किये जाते रहे। वर्षों बाद इस सूची में नये रोजगार वर्ग शामिल कर लिए गए और अब इनकी संख्या बढ़कर केंद्र वर्ग में 45 हो गई है। राज्य वर्ग में इनकी संख्या अब 1679 है। कानून के सारे प्रावधान स्त्री और पुरुष वर्गों पर लागू हैं। खड़गे ने कहा कि विभिन्न राज्यों/ क्षेत्रों में दिये जाने वाले न्यूनतम वेतन में अंतर है, जिसे देखते हुए राष्ट्रीय स्तर की न्यूनतम मजदूरी (एनएफएलएमडब्ल्यू) की सिफारिश की गई है। तदनुसार सरकार ने 1996 से नई मजदूरी दरें गैर-अनिवार्य आधार पर लागू की हैं और सभी राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे इसे मंजूर कर लें। एनएफएलएमडब्ल्यू में समय-समय पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर परिवर्तन किये गए हैं और 1 अप्रैल, 2011 से यह 115 रुपये प्रतिदिन तय की गई है। उन्होंने कहा कि 1948 के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव है, जिसके बाद इसे अनिवार्य बना दिया जाएगा और सभी वर्ग के श्रमिकों को इसके अंतर्गत लाया जाएगा।
बैठक के दौरान केंद्र/राज्य क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी विषय पर चर्चा की गई। एक प्रजेंटेशन भी दिया गया। चर्चा के अन्य विषय थे परिवर्तनीय महंगाई भत्ता, न्यूनतम मजदूरी निर्धारण, काम के घंटे और ओवर टाइम की दरें, मज़दूरों का वर्गीकरण, शहरों-कस्बों का वर्गीकरण, न्यूनतम मजदूरी आदि। बैठक में मौजूद सांसदों में गुरूदास दास गुप्ता, आनंद राव विथबा अडसुल, आरके सिंह पटेल, राम सुंदर दास, एन पीतंबरा कुरुप, बदरीराम जाखड़ और मंगला किसान शामिल हैं।