स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
लखनऊ। राज्य मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठा (स्थापना हेतु स्थल मापदंड) नियमावली 2012 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। नियमावली के अनुसार ईंट भट्ठे की स्थापना, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25 एवं वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 21 के तहत सहमति प्राप्त किए जाने के उपरांत ही की जा सकेगी। इसके अलावा अन्य नियमों के प्राविधानों जैसे-जिला प्रशासन, माइनिंग लीज, जिला पंचायत से फायरिंग हेतु अनुमति और उद्यान विभाग और जिला पंचायत से, यदि आवश्यक हो, अनापत्ति प्रमाण पत्र/लाइसेंस भी नियमानुसार प्राप्त किया जाना होगा।
नियमावली में यह प्रावधान भी किया गया है, कि भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की 22 जुलाई 2009 की अधिसूचना के तहत ईंट भट्ठों के लिए अधिसूचित उत्सर्जन मानक और प्रदूषण नियंत्रण प्रक्रिया, जिसमें चिमनी की ऊंचाई सम्मिलित है, ईंट भट्ठों पर लागू होंगे। आंतरिक ईधन के रूप में कोयले के स्थान पर, स्थानीय कृषि औद्योगिक वेस्ट अवशेष जैसे कपास या सरसों की डंठल को ईधन के रूप में प्रयोग किया जायेगा। ऐसे औद्योगिक वेस्ट, जो परिसंकटमय न हों, जैसे पत्थर, धूल, चावल की भूसी की राख, रेड मड इत्यादि को ऊपरी मिट्टी में मिलाये जाने को प्रोत्साहन दिया जायेगा। इसके अलावा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत जारी किये गये नोटिफिकेशन (यथासंशोधित) के आधार पर लाई ऐश ईंट की मोल्डिंग में उपयोग करके मिट्टी लाई ऐश ईंट बनायी जायेगी।
नियमावली के अनुसार स्पेंट आरगैनिक साल्वेंट, तैलीय अवशेष, पेंट कोक बोतल, फिल्टर प्रेस कोक (परिसंकटमय अपशिष्ट) इत्यादि और अन्य वेस्ट जैसे प्लास्टिक, रबर, चमड़ा आदि भट्ठे में ईधन के रूप में स्वीकृत नहीं किये जाएंगे। ईंट भट्ठे की परिधि के किनारे वृक्षों की 10 मीटर चौड़ी बहु सतही एवं बहु मंजिली हरित पट्टी बनायी जायेगी और ईंट भट्ठे की चाहरदीवारी में वाहनों के प्रवेश एवं निकासी के लिए 10 मीटर के दो खाली स्थान छोड़े जायेंगे। ऐसे ईंट भट्ठों में जहां हरित पट्टी बनाने के लिए स्थान नहीं है, वहां 3 मीटर ऊंचाई की दीवार बनायी जायेगी, ताकि धूल का निकलना रोका जा सके। हरित पट्टी के साथ ईंट भट्ठे की स्थापना के लिए कम से कम 2 एकड़ क्षेत्र आवश्यक होगा, इसके अतिरिक्त ईंट भट्ठे की स्टैक/चिमनी को आकाशीय बिजली से बचाने के लिए लोक निर्माण विभाग के नियमों के अनुसार आकाशीय बिजली रोधक लगाये जाने भी आवश्यक होंगे।
ईंट भट्ठों के लिए समुचित रखरखाव प्रक्रिया, जिसमें कोयले की राख का निस्तारण, भट्ठे के चारों ओर दोहरी दीवार, समुचित लेआउट, ब्रिक लाइन पैसेज, उच्च ग्रेड के कोयले का प्रयोग, समुचित फायरिंग प्रक्रिया, ध्वनि प्रदूषण से सुरक्षा और अन्य व्यवस्थायें भी भट्ठा स्वामी अपनाएंगे।