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बर्लिन। भारत ने हरित प्रौद्योगिकी के विकास में जर्मनी से विशेषज्ञता उपलब्ध कराने और सहयोग करने का आग्रह किया है। स्वचालित वाहनों से सबंधित भारत-जर्मनी संयुक्त कार्य दल की कल बर्लिन में हुई बैठक में वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने जर्मनी के परिवहन, भवन निर्माण और शहरी विकास मंत्री डॉक्टर पीटर रैमसौर से बातचीत में कहा कि भारत और जर्मनी दोनों कार्बन उत्सर्जन को कम करने और स्वचालित वाहनों के क्षेत्र में सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने बिजली चालित वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है।
जर्मनी की सड़कों पर इस समय लगभग 15सौ बिजली चालित वाहन चल रहे हैं और 2020 तक जर्मनी इस संख्या को बढ़ाकर कम से कम दस लाख करना चाहता है। परिवहन क्षेत्र में कुशल-ऊर्जा प्रौद्योगिकी के मामले में जर्मनी एक अग्रणी देश है। भारत और जर्मनी इस क्षेत्र में और वाहनों की ईंधन नीति के क्षेत्र के भावी कार्यक्रममें सहयोग की संभावनाओं का पता लगा रहे हैं। इस बारे में और चर्चा के लिए स्वचालित वाहनों से सबंधित संयुक्त कार्यदल की अवधि और दो वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है।
आनंद शर्मा ने सात राष्ट्रीय विनिर्माण निवेश क्षेत्रों में जर्मनी की भागीदारी का आग्रह किया है। ये क्षेत्र दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर में होंगे, जहां पीपीपी आधार पर औद्योगिक टाऊनशिप विकसित किये जाएंगे। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत सरकार इसमें साढ़े चार अरब अमरीकी डॉलर जितनी पूंजी लगाएगा। इसमें जर्मनी की सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी का स्वागत किया जाएगा। जापान सरकार ने इस परियोजना में साढ़े चार अरब अमरीकी डॉलर के निवेश का संकेत दिया है। इस परियोजना में हरित प्रौद्योगिकी पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा।
आनंद शर्मा ने डॉक्टर पीटर रैमसौर के साथ भारत हैवी इलैक्ट्रीकल्स लिमिटेड-भेल और सीमेंस कंपनियों के बीच पॉवर टर्बाइनों के उत्पादन के लिए समझौते के बारे में भी चर्चा की। दोनों देशों के बीच पिछले पांच वर्षो में आपसी व्यापार दुगुना हो गया है और पिछले वर्ष यह लगभग 23 दशमलव 64 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। आनंद शर्मा ने जर्मनी के आर्थिक और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर फिलिप रोजलर से भी वार्ता की।