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लखनऊ।उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष नटवर गोयल ने ग्रामीण स्तर पर बेरोज़गारी पर नियंत्रण पाने के अखिलेश यादव सरकार के अभियान की एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू किया है, जो यदि सही दिशा में चली, तो समाजवादी पार्टी सरकार शिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार या बेरोज़गार भत्ता देने के दबाव को काफी हद तक हल्का कर सकेगी। इस योजना के पहले प्रयास में नटवर गोयल ने करीब छह जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया है, जहां उन्होंने रोज़गार की उन संभावनाओं को तलाशा है, जिनमें बेरोज़गारों को उन्हीं के घर या क्षेत्र में रोज़गार या आजीविका का अवसर मिल सकता है।
नटवर गोयलने सुल्तानपुर, बनारस, जौनपुर, छत्रपति साहूजी महाराज नगर, बाराबंकी, फैजाबाद आदि जिलों के कई गांवों का दौरा कर स्थानीय स्तर पर अपने पुश्तैनी व्यवसाय से निराश या जुड़े लोगों को और ज्यादा प्रोत्साहित करने का लक्ष्य बनाया और दूसरे बेरोज़गारों को भी वहीं पर उनकी पसंद के व्यवसाय या उस क्षेत्र के अनुकूल नए व्यवसाय का सृजन कर उसे बेरोज़गारी से मुक्त करने के लिए विभिन्न तबके के युवाओं से बातचीत की। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे बहुत से काम हैं, जिन्हें एक अच्छे एवं स्थानीय व्यवसाय के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन प्रेरणा और प्रोत्साहन के अभाव में ऐसा करना कठिन हो जाता है, कुछ तो व्यवसाय ऐसे हैं, जिनमें मामूली पूंजी से बहुत कुछ किया जा सकता है, लेकिन पूंजी के साथ-साथ अपने कार्य व्यवसाय में कड़ी मेहनत और इच्छा शक्ति की भी आवश्यकता होती है, ग्रामोद्योग बोर्ड ऐसे ही बेरोज़गार युवक-युवतियों एवं पेशेवर व्यवसाइयों के लिए है, जिसका लाभ उठाकर स्वावलंबी बना जा सकता है।
खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्डकी परिकल्पना ही स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा रोज़गारों के अवसरों के सृजन की या परंपरागत कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की है, ताकि रोज़गार की लालसा में बेरोज़गारों का शहरों की ओर पलायन रूक सके। इस पर ध्यान दिए जाने से बेरोज़गारी की समस्या को काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में बेरोज़गारों की एक बड़ी संख्या तो ऐसी है, कि यदि वे अपने पेशेवर व्यवसाय पर थोड़ा भी ध्यान दे लें, तो उन्हें घर बैठे काफी धन लाभ हो सकता है। ग्रामोद्योग बोर्ड, स्थानीय लघु उद्योगों एवं व्यवसाय के लिए 25 लाख रूपए तक ऋण उपलब्ध कराता है और ग्रामीण क्षेत्रों या कस्बों में हलवाई की दुकान, नाई की दुकान, दवा की दुकान, किराना, साइकिल-मोटर साइकिल मरम्मत या पंचर की दुकान, सींके बनाना, पान की दुकान, ऐसा व्यवसाय है, जो पांच-दस हजार रूपए से शुरू किया जा सकता है और इसमें ग्रामोद्योग बोर्ड उनकी बड़ी आसानी से सहायता कर सकता है। ये ही वो विषय हैं, जिन पर विभिन्न गांवों में ग्रामीणों एवं बेरोज़गारों से विचार-विमर्श भी हुआ।
नटवर गोयलका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेशेवर कार्यों को प्रोत्साहन देना ही होगा, ताकि गांवों से आने वाले बेरोज़गार वहीं रूकें और अपने घर या उसके आसपास रहकर अच्छा व्यवसाय कर सकें। उनका कहना है कि उनके पास ऐसे लोगों की जानकारी है, जिन्होंने केवल पाँच हज़ार रूपए की सहायता से अपना व्यवसाय शुरू किया और आज वह पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं और जब ग्रामोद्योग बोर्ड की 25 लाख रूपए तक की सहायता का लाभ लेंगे तो फिर बेरोज़गारों की बेरोज़गार भत्ते या रोज़गार के लिए इतनी लंबी लाइन नहीं लगेगी। उनका कहना है कि वे एक ऐसे समाज से हैं, जिसका श्रम शक्ति के उपयोग से निकट का रिश्ता है और वे ग्रामीणों की रोजगार संबंधी व्यवहारिक कठिनाइयों से काफी हद तक परिचित हैं और आज जब उन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पद पर कार्य करने का मौका मिला है तो वे इस अवसर का इस्तेमाल उन बेरोज़गारों की सहायता के लिए करेंगे, जो बेरोज़गार हैं और अपना रोज़गार करना चाहते हैं।
नटवर गोयल,अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन उत्तर प्रदेश के कोषाध्यक्ष हैं और समाजवादी व्यापार सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। मूल रूप से बनारस के रहने वाले नटवर गोयल, विभिन्न व्यापारिक संगठनों से जुड़े हैं और 26 अप्रैल को उन्हें उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का उपाध्यक्ष बना कर राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया गया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव युवाओं के कल्याण के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोज़गार से लगाना उनकी शीर्ष प्राथमिकता है, जिसमें राज्य का खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिस पर वे भी काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि गांवों में रहने वालों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने में इसी प्रकार की संस्थाएं ज्यादा कारगर हैं।