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भारत पर विदेशी कर्ज़ बढ़ा

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नई दिल्ली। केंद्रीय वि‍त्त राज्‍य मंत्री नमोनारायण मीणा ने राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के लि‍खि‍त उत्तर में बताया है कि दि‍संबर 2011 के अंत में देश के बाहरी कर्ज की राशि ‍334.9 अरब अमरीकी डॉलर थी, जबकि मार्च के अंत तक 306.1 अमरीकी डॉलर थी। इस तरह मार्च 2011 के अंत की तुलना में दि‍संबर 2011 के अंत तक देश के बाहरी कर्ज में 9.4 प्रति‍शत की वृद्धि‍ हुई है। अधि‍क व्‍यवसायि‍क उधार और अल्‍पावधि ‍के कर्जों में वृद्धि‍ के कारण ऋण का भार बढ़ा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि‍ भारत की मि‍तव्‍यीय कर्ज प्रबंधन नीति ‍के कारण वि‍देशी कर्ज की स्‍थि‍ति नि‍यंत्रण में रही है।
अनावश्‍यक खर्चों पर नियंत्रण
एक अन्य जानकारी में उन्होंने बताया कि जनरल फाइनेंसियल रुल्‍स (जीएफआर) के नियमितीकरण के संदर्भ में खर्च, प्रथम द़ृष्‍टया आवश्‍यक मांग से अधिक नहीं होना चाहिए। जीएफआर के नियम 64 के संदर्भ में मंत्रालय तथा विभाग के मुख्‍य लेखाधिकारी अनधिकृत, अनियमित तथा अपव्‍ययी ख़र्चों को रोकने के लिए प्रभावी और उचित कदम उठा सकते हैं। सरकार भी समय-समय पर ख़र्चों के प्रबंधन से संबंधित दिशा निर्देश जारी करती रहती है। इस आशय से संबंधित अंतिम निर्देश मई 2011 तथा जुलाई 2011 में जारी किए गए थे। इन निर्देशों में 2011-12 के बजटीय अनुमानों के लिए सुझाव के साथ-साथ गोष्ठियों, सम्‍मेलनों, वाहनों की खरीद, विदेश यात्रा तथा परामर्श आदि से संबंधित ख़र्चों के लिए आर्थिक मापदंड शामिल थे। इसमें राजस्‍व संबंधी हस्‍तांतरण और ख़र्चों की गति के बकाए से संबंधित अनुशासन के लिए दिशा-निर्देश भी थे। उन्होंने बताया कि इन दिशा-निर्देशों के क्रियान्‍वयन का दायित्‍व मंत्रालयों और विभागों पर है। इस संबंध में केंद्रीकृत आंकड़े तैयार नहीं किए जाते।

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