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जेनेवा। जेनेवा में आयोजित 65वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के उद्घाटन पर इसके पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव पीके प्रधान ने कहा है कि प्रत्त्येक नागरिक आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवा का अधिकारी है और राष्ट्र को इसे सुनिश्चित करना चाहिए। क्षेत्रीय और सामाजिक सांस्कृतिक विविधताओं तथा अलग-अलग स्थानों में लोगों की विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल ज़रुरतों के मद्देनज़र भारत जैसे विशाल देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की किसी भी प्रणाली के लिए लचीले तथा अनुकूलनीय प्रारुप के साथ शक्तियों के उपयुक्त हस्तांतरण की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही तेजी से होते शहरीकरण तथा जनसांख्यिकीय, महामारी और पोषण संबंधी बदलावों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। प्रधान, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद की ओर से अपना संबोधन दे रहे थे।
प्रधान ने कहा कि स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को प्रभावी रुप से संबोधित किए बगैर सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करना और इसे सतत रुप से बनाए रखना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न वर्गों, लिंगों और क्षेत्रीय समूहों के बीच स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों में अंतर को कम करने के लिए प्राथमिक शिक्षा, पेयजल और स्वच्छता प्रावधानों, पोषण और अन्य संबंधित क्षेत्रों में सुधार, मज़बूत जन वितरण प्रणाली और संचार प्रणाली के सुदृढ़ीकरण जैसे क्षेत्रों में ठोस कार्य की ज़रुरत है। स्वास्थ्य संबंधी सह्साब्दि विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत के कदमों को रेखांकित करते हुए प्रधान ने कहा कि मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए पिछले वर्ष एक नवीन पहल जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की गई, जिसके तहत जन स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क दवाओं, इलाज, रक्त और भोजन मुहैया कराकर पूरी तरह से निःशुल्क प्रसव का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऐसी महिलाओं के लिए घर से संस्थान तक परिवहन की व्यवस्था भी उपलब्ध है, सभी जन स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज कराने वाले बीमार नवजातों के लिए भी उनके जन्म के 30 दिन की अवधि तक इसी प्रकार के प्रावधान है। उन्होंने जानकारी दी कि भारत की 12वीं पंचवर्षीय योजना में एक प्रमुख क्षेत्र के रुप में स्वास्थ्य की पहचान की गई है। जैसा कि एनसीडी में कमी लाने के स्वैच्छिक लक्ष्य को प्राप्त करने में विश्व स्वास्थ्य सभा का भी सहयोग होगा, प्रधान के वक्तव्य में भारत द्वारा एनसीडी से पार पाने के प्रयास रेखांकित हुए। उन्होंने कहा कि मधुमेह, हृदय रोग और घात रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जारी राष्ट्रीय कार्यक्रम इस मायने में ऐतिहासिक है कि विश्व में कहीं भी अब तक इस स्तर पर ऐसा कोई प्रयास नहीं हुआ है। प्रधान ने कहा कि भारत, शराब के उपभोग में कमी को भी निर्धारित स्वैच्छिक लक्ष्यों में से एक के रुप में तय करना चाहेगा। शराब के अनुचित उपभोग को रोकने के लिए एफसीटीसी जैसे आवश्यक प्रोटोकॉल के बारे में विचार करने की ज़रुरत है और साथ ही निर्धारित आयु से नीचे के लोगों द्वारा शराब के उपभोग तथा शराब पीकर गाडी चलाने वाले लोगों में भी कमी लाने की आवश्यकता है।
विकासशील देशों की स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी ज़रुरतों को पूरा करने के लिए वित्तपोषण और समन्वय के लिए आवश्यक समझौते की ज़रुरत पर सलाहकारी विशेषज्ञ कार्य बल की रिपोर्ट के संदर्भ में भारत आशा करता है कि सीईडब्ल्यूजी की संस्तुतियों को स्वीकार किया जाएगा और इसकी संस्तुतियों को लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। विश्व स्वास्थ्य सभा न केवल विश्व समुदाय की प्रगति के परिप्रेक्ष्य में सदस्य देशों द्वारा विश्व जन स्वास्थ्य एजेंडे को साझा करने का अवसर है बल्कि यह सदस्य देशों के लिए निर्धारित लक्ष्यों के संदर्भ में उनकी प्रतिबद्धताओं को दोहराने और उसकी पुनःपुष्टि के लिए मंच भी प्रदान करता है। भारत वर्ष 2009 से विश्व स्वास्थ्य महासभा के कार्यकारिणी बोर्ड में शामिल है।