स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस पर उत्तराखंड जैव-विविधता बोर्ड, वन विभाग तथा वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के तत्वावधान में एफआरआई में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ अज़ीज़ कुरैशी इसमें मुख्य अतिथि थे। जैव-विविधता के संरक्षण और संवर्धन के प्रति छात्र-छात्राओं को संवेदनशील बनाने की दृष्टि से 20 मई को जैव-विविधता बोर्ड ने विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए एक निबंध व चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें श्रेष्ठ रचना व कला के विजेता 20 विद्यार्थियों को राज्यपाल ने पुरस्कृत किया। चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार कुमारी मुस्कान राणा तथा रूपाली उनियाल, निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार आशुतोष बडोनी तथा एफआरआई यूनिवर्सिटी की निशिता गिरी को दिया गया।
पुरस्कृत बच्चों की हौसला अफज़ाई करते हुए राज्यपाल ने जैव-विविधता व मनुष्य के अस्तित्व के संबंध को अटूट बताते हुए कहा कि हमारे प्रदेश की समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण व संवर्धन का संकल्प लेने के साथ ही बढ़ते प्रदूषण से पर्यावरण के लिए उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रत्येक बच्चे को एक वृक्ष लगाने तथा उसकी पूरी देख-भाल करने का भी संकल्प लेना होगा। राज्यपाल ने बच्चों को उनकी रचनात्मक प्रतिभा को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उन्हें बधाई दी। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड जैव-विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है, विशेषतः जड़ी-बूटी/औषधीय पादपों के क्षेत्र में। आज भी लोग इन्हीं औषधीय पौधों पर आधारित चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करते हैं। इससे प्रमाणित होता है कि जैव-विविधता से मानव जीवन का अटूट रिश्ता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। अतिथियों के स्वागत की परंपरा संपादित होने के बाद उत्तराखंड जैव-विविधता बोर्ड के अध्यक्ष डॉ बीएस बर्फाल, आईसीएफआरआई के महानिदेशक डॉ बहुगुणा, प्रमुख वन संरक्षक डॉ आरबीएस रावत तथा निदेशक एफआरआई पीपी भोजवैद्य ने वैश्विक परिवेश में उत्तराखंड की जैव-विविधता पर व्यापक प्रकाश डॉला। हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमेश शर्मा ने टिहरी डैम के विशेष परिप्रेक्ष्य में जलीय जैव-विविधता पर विस्तृत ज्ञानवर्द्धक जानकारियां दीं।