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देहरादून। उत्तराखंड में अब हर घर का अपना बैंक खाता होगा। खाता खोलने में पहचान सिद्ध करने की जटिलता को हल्का करने के लिए वोटर कार्ड ही पर्याप्त माना जाएगा। जल्दी ही सभी तरह के भुगतान को भी ऑन लाइन कर दिया जाएगा। ऋण जमा अनुपात बढ़ाया जाएगा। फसल और जीवन बीमा का विस्तार किया जाएगा। ये निर्णय भारत सरकार के बैंकिंग सचिव डीके मित्तल की अध्यक्षता में आयोजित ‘फायनेंशियल इनक्लूजन एंड ई-पेमेंट’ की समीक्षा बैठक में लिए गए।
डीके मित्तल ने सभी व्यवसायिक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से कहा है कि वे कम से कम प्रत्येक परिवार का एक खाता जरूर खोलें। राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट से अपने-अपने जनपद की लिस्ट डाउनलोड कर लें। जितने भी मतदाता हैं, सबका खाता होना चाहिए। मतदाता पहचान पत्र को खाता खोलने का आधार माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि बैंक की नई शाखा खोलने के लिए वित्त विभाग, बीएसएनएल, आईटी और एनआईसी के साथ मिलकर स्थलों का चयन कर लें। उन्होंने कहा कि अस्थाई तौर पर रहने वाले श्रमिकों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के भी खाते खोले जाएं। प्रत्येक 5 किलोमीटर पर बैंक की शाखा और 2 किलोमीटर की दूरी पर बिजनेस करेस्पांडेंट (बीसी) की सुविधा होनी चाहिए। अल्ट्रा स्माल ब्रांचेज खुलने से बैंकों का विस्तार होगा। बीसी नेटवर्क को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए।
केंद्रीय बैंकिंग सचिव ने कहा कि बैंक के बीसी के पास 2जी नेटवर्क सुविधायुक्त लैपटाप होगा। बीसी स्थानीय स्तर पर बनाया जाएगा, जो अपने कार्य के साथ साथ बैंक का कार्य भी करेगा। उन्होंने सभी बैंकों से खाते खोलने का व्यापक अभियान चलाने के लिए कहा और कहा कि राज्य में जब सबके खाते खुल जाएंगे, तब ई-पेमेंट को अनिवार्य बना दिया जाए। पेंशन, छात्रवृत्ति और अन्य सभी तरह के सरकारी भुगतान इलेक्ट्रानिक आधार पर किए जाएंगे। इससे भुगतान में पारदर्शिता आएगी और समय की भी बचत होगी। उन्होंने बीएसएनएल के सीजीएम पीके गुप्ता से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कहा। आप्टिकल फाइबर के साथ-साथ सेटेलाइट टर्मिनल भी स्थापित करें और जहां जरूरी हो, वहां वी-सेट, टू-जी, एमपीवीएस, वाई मैक्स की सुविधा भी उपलब्ध कराएं, कनेक्टिविटी के अभाव में दूर-दराज क्षेत्रों के कई बैंक सीबीएस सुविधा से वंचित हैं।
उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग और सीमांत क्षेत्रों में खासतौर पर मुकम्मल कनेक्टिविटी के इंतजाम करने के लिए कहा। किसान क्रेडिट कार्ड की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी किसानों के पास क्रेडिट कार्ड होना चाहिए। उत्तराखंड में 9.50 लाख किसानों में से 7.90 लाख किसानों के पास क्रेडिट कार्ड हैं। उन्होंने फसल बीमा और जीवन बीमा की कवरेज बढ़ाने की अपेक्षा की। केंद्रीय बैंकिंग सचिव ने यात्रा मार्गो और प्रमुख धार्मिक स्थलों पर बैंक के समय में परिवर्तन करने के लिए भी कहाकि जहां तक संभव हो, ऐसे स्थलों पर बैंक का समय सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक हो। रविवार के दिन भी बैंक की शाखा खुले। यात्रा मार्ग के सभी एटीएम सुचारू रूप से चलें, ऐसी व्यवस्था की जाए।
इस अवसर पर मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन ने कहा कि विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए बैंकों को आगे आना चाहिए, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलने से युवाओं का पलायन रूकेगा। उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। राज्य सरकार अपने स्तर से इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है, बैंकों को इसमें सहयोग देना चाहिए। उत्तराखंड की वित्त सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि राज्य में 1.50 लाख कार्मिकों का वेतन और 1.25 लाख पेंशनरों की पेंशन सीधे उनके अकाउंट में जमा हो रही है। विभागीय वेबसाइट के जरिए 5 बैंकों के माध्यम से वैट जमा किया जा रहा है। अब तक 1400 करोड़ रुपए ऑन लाइन जमा किए गए हैं, जल्द ही अन्य प्रकार के कर, फीस आदि ई-चालान के जरिए जमा किए जाएंगे। उन्होंने भी बैंकों से अनुरोध किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नाम से कोई संपत्ति नहीं होती है, इसलिए ऋण देते समय उनके लिए जेएलजी (ज्वाइंट लायबिलटी ग्रुप) को आधार बनाएं।
बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व ओम प्रकाश, सचिव ग्रामीण विकास अरूण ढौंडियाल, सचिव पर्यटन डॉ एसएस संधू, सचिव मुख्यमंत्री एमएच खान और एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बड़ौदा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, नैनीताल बैंक, सिडबी, नाबार्ड सहित अन्य बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।