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लखनऊ। केंद्र सरकार के प्रवर्तन निदेशालय ने समाजवादी पार्टी के महासचिव और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह से जुड़े आर्थिक मामलों का विस्तृत विवरण मांगा है। अमर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में उप्र विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरूपयोग करते हुए चुनिंदा उद्योगपतियों को हज़ारों करोड़ रूपए के सरकारी ठेके दिए। अमर सिंह से जुड़े कथित आर्थिक घोटाले की कथित सूचना प्राप्त होने के बाद केंद्र सरकार के प्रवर्तन निदेशालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की आर्थिक अपराध शाखा को पत्र (संख्या-पीएमएलए/ एमआईएससी/ एलजे़डओ/ 2009/ 760 दिनांक 27 अक्टूबर 2009) भेजकर अग्रिम कार्रवाई के लिए विस्तृत विवरण मांगा है, जिसे राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के प्रवर्तन निदेशालय को भेज दिया है।
ज्ञातव्य है कि अमर सिंह और उनके सहयोगियों के विरूद्ध कानपुर शहर के थाना बाबू पुरवा में शिवाकांत त्रिपाठी ने 15 अक्टूबर 2009 को एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में अमर सिंह और उनके सहयोगियों पर कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, लोक सेवक होते हुए गलत ढंग से धन अर्जित करने और इंकम टैक्स की गलत आयकर विवरणी अंकित करने का उल्लेख है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्रकरण की जांच राज्य की आर्थिक अपराध शाखा को सौपी है। एफआईआर में जो आरोप लगाये गये हैं उनके अनुसार अमर सिंह ने पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरूपयोग करते हुए हजारों करोड़ रूपये के सरकारी ठेके चुनिंदा उद्योगपतियों को दिये और ऐसी कंपनियों को ठेके दिलवाए जिन्हें अमर सिंह प्रत्यक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से संचालित कर रहे थे।
वर्ष 2004 से 2007 के दौरान अमर सिंह ने इन कंपनियों को ठेके दिलाने का कार्य किया, जिनको न तो संबंधित कार्य का अनुभव था और न ही उन कार्यों को करने के लिए उनके पास संसाधन अथवा क्षमता ही थी। अमर सिंह ने कई अन्य आर्थिक विशेषज्ञों की सहायता से इस प्रकार की बहुत सी कंपनियां खोलीं जिनकी एक दूसरे में अंशधारिता दिखाकर उनको अपने सहयोगियों या मित्रों को निदेशक मंडल में रखकर नियंत्रित किया जाना दिखाया। भारी मात्रा में धन एकत्र होने के बाद कई कंपनियों का दो कंपनियों-मैसर्स सर्वोत्तम कैप्स लिमिटेड और मैसर्स पंकजा आर्ट्स एंड क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड में विलय कर दिया गया।
आरोप के अनुसार जिन छोटी-छोटी कंपनियों में बाहर से धन लाकर दो बड़ी कंपनियों में उनका विलय किया गया, उन कंपनियों का विलय करने से पूर्व उनके शेयर का मूल्य कृत्रिम रूप से कई सौ गुना बढ़ा दिया गया। उदाहरण के तौर पर मैसर्स श्याम दादा मर्चेन्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, जिसका मैसर्स पंकजा आर्ट्स एंड क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड में विलय किया गया था, उसकी वर्ष 2004-05 में कुल आय 5.78 लाख रूपये थी और लाभ मात्र 1250 रूपये था, फिर भी उसके 81.77 लाख रूपये के शेयरों का मूल्य विलय करते समय 12.46 करोड़ रूपये आंका गया है। इस प्रकार पूरे घटनाक्रम के पश्चात जहां सभी छोटी-छोटी कंपनियां विलय होने के बाद पूर्णतया समाप्त हो गईं, वहीं उनमें जमा पूरा धन अमर सिंह और उनकी पत्नी और निकट मित्रों, सहयोगियों की उपरोक्त दो कंपनियों में वैध धन के रूप में आ गया।
एफआईआर में ऐसे गंभीर आरोपों को देखते हुए संपूर्ण प्रकरण की विवेचना में कई तथ्य सामने आये हैं, जिनकी आगे जांच के लिए सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा और अन्य विशिष्ट एजेंसियों से भी सहयोग लेने की बात कही है। उत्तर प्रदेश सरकार की जांच एजेंसी आर्थिक अपराध शाखा ने केंद्र सरकार के प्रवर्तन निदेशालय के पत्र के जवाब में इस मामले से जुड़े समस्त अभिलेख उसे भेज दिए हैं। इसके अलावा आर्थिक अपराध शाखा ने कंपनी मामलों के मंत्रालय के सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को भी इस प्रकरण के संबंधित बिंदु संदर्भित कर दिये हैं और इस प्रकरण में नियामक प्रावधानों के उल्लंघन और संबंधित कंपनियों के शेयर मूल्यों में कथित हेरा-फेरी के आरोपों के संबंध में सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। राज्य सरकार ने भारत सरकार के राजस्व विभाग, जिसमें आयकर और प्रवर्तन निदेशालय सम्मिलित हैं और कंपनी मामलों के मंत्रालय को इस मामले से संबंधित संपूर्ण विवरण भेज दिया है।