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लखनऊ। भारतीय रिज़र्व बैंक की 25 गैर लाइसेंस प्राप्त जिला सहकारी बैंकों को सभी प्रकार के नये जमा स्वीकार किये जाने पर लगी रोक के संदर्भ में 1 जून को उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव के साथ उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें 25 जिला सहकारी बैंकों पर जमा स्वीकार करने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक की रोक के फलस्वरूप काम-काज पर प्रभाव एवं बैंकों से संबद्ध समितियों एवं कृषकों पर विपरीत प्रभाव के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक एवं नाबार्ड के अधिकारियों को विस्तार से अवगत कराया गया। बैठक में स्पष्ट किया गया कि जमा स्वीकार करने पर रोक लगाने के फलस्वरूप आम जनता में बैंको के बंद होने का भय पैदा हो गया है, जिसके कारण डिपाजिटर्स भारी मात्रा में जमा अपनी धनराशि वापस ले रहे हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक ने अवगत कराया कि यदि राज्य सरकार इन बैंकों को लाइसेंस दिये जाने के निर्धारित मानकों को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दे, तो भारतीय रिज़र्व बैंक इन बैंकों को लाइसेंस के लिए निर्धारित मानक पूरा करने के लिए और समय देने पर विचार कर सकती है तथा जमा स्वीकार किये जाने पर लगायी गयी रोक वापस ले सकती है। ध्यान रहे कि रिज़र्व बैंक ने इस प्रकार के सहकारी बैंकों पर नगदी जमा करने की पाबंदी लगा रखी है। यह पाबंदी इसलिए है कि इन बैंकों से गंभीर वित्तीय शिकायतें मिल रही थीं और ये आशंका थी कि राज्य सरकार की बिना गारंटी के इस तरह जमा धन का कोई सुनिश्चित भविष्य नहीं है।
सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक के इस कथन के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार प्रदेश के किसी भी जिला सहकारी बैंक को कदापि बंद नहीं होने देगी, इन 25 बैंकों को चलाने के लिए रिज़र्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जो शर्तें होंगी, उसे पूरा करेगी तथा इन 25 सहकारी बैंकों को चलाने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से सहयोग एवं वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और जो भी वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी, राज्य सरकार उसे उपलब्ध करायेगी। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त, सचिव (वित्त), प्रमुख सचिव (संस्थागत वित्त), क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विशेष सचिव (सहकारिता), नाबार्ड के उच्चाधिकारियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक ने भाग लिया।