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देहरादून। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पेयजल मंत्री जयराम रमेश ने दावा किया है कि उत्तराखंड में विकास योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने पेयजल योजनाओं में केंद्रीय सहायता 90 और 10 के अनुपात में दिए जाने, पीएमजीएसवाई में नक्सल और सीमावर्ती क्षेत्रों के समान ही वन स्वीकृति से छूट दिए जाने पर सकारात्मक निर्णय का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि पिछले वर्षों में राज्य सरकार केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाई है। वर्तमान सरकार केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 300 ग्रामीण बस्तियों को पीएमजीएसवाई से जोड़ दिया जाएगा व अगले 5 वर्ष में उत्तराखंड को निर्मल राज्य बनाया जाएगा। उत्तराखंड में समाज कल्याण की विभिन्न पेंशन लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे पहुंचाने के लिए सिस्टम विकसित किया जा रहा है। वन पंचायतों को मनरेगा से लाभांवित करने के लिए आवश्यक कार्यवाही शीघ्र ही की जाएगी।
सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से विभिन्न योजनाओं में केंद्रीय सहायता उत्तर पूर्वी राज्यों के समान ही 90 और 10 के अनुपात में दिए जाने व राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मनरेगा में श्रम-पूंजी अनुपात 60 और 40 की बजाय 50 और 50 के अनुपात में किए जाने का अनुरोध किया। इन पर सकारात्मक आश्वासन देते हुए केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि उत्तराखंड में पीएमजीएसवाई में 250 से अधिक आबादी वाली 2531 बसावटों में से 1025 को केंद्र से मंजूरी मिल चुकी है, परंतु केवल 650 बस्तियों को ही जोड़ा गया है। उन्होंने राज्य सरकार को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को अधिक गंभीरता से लेने को कहा। उन्होंने कहा कि अगले चार वर्षो में सभी बस्तियों को सड़क से जोड़ा जाएगा, इसमें धनराशि की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि डीपीआर बनाने, तकनीकी सहायता, कांट्रेक्ट प्रबंधन में केंद्रीय मंत्रालय की मदद भी ले सकते हैं।
मनरेगा को पलायन रोकने में महत्वपूर्ण योजना बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हाल ही में इसके तहत 30 नए काम जोड़े गए हैं, जो कि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्टेट फंड बनाने की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान में मनरेगा के अंतर्गत केंद्र सरकार से धन जिलों को निर्गत होता है। स्टेट फंड होने से केंद्र से धन राज्य को मिल सकेगा, जिसे राज्य सरकार आवश्यकतानुसार विभिन्न जिलों में वितरित कर सकती है। उन्होंने कहा कि जो परिवार मनरेगा के तहत 100 दिन का रोज़गार प्राप्त कर चुके हों, उसके एक सदस्य को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्किल डेवलपमेंट का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिन राज्यों में वन क्षेत्र 50 प्रतिशत से अधिक हैं, वहां इंदिरा आवास में प्रति इकाई राशि को 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने पर विचार किया जाएगा। वर्ष 2012-13 में पेयजल में राज्य को 160 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। सितंबर तक 60 प्रतिशत राशि का उपयोग किए जाने पर अतिरिक्त राशि केंद्र सरकार स्वीकृत करेगी। राज्य में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह प्रभावशाली है, जिनका उपयोग स्वच्छता कार्यक्रमों की क्रियान्वयन में किया जा सकता है। राज्य की 7555 ग्राम पंचायतों में से केवल 525 ग्राम पंचायते ही निर्मल ग्राम की श्रेणी में आ सकी है। इस पर विशेष कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
केंद्रीय मंत्री ने पेंशन लाभार्थियों को नियमित रूप से पेंशन मिलना सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य से पेंशन राशि सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचनी चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार में एनआरएलएम के तहत उत्तराखंड के लिए 21 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं, इसमें ग्राम पंचायत, ब्लाक, जिला स्तर पर स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन बनाए जाने होंगें। उन्होंने कहा कि 25 लाख महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में संबद्ध किया जाना है। वन पंचायतों को मनरेगा से लाभांवित किए जाने की मांग पर केंद्रीय मंत्री ने इन्हें ग्राम पंचायत से सम्बद्ध किए जाने की आवश्यकता बताई। इस पर मुख्यमंत्री ने वन पंचायत कानून में जरूरी संशोधन किए जाने की बात कही। बैठक में उत्तराखंड के ग्राम्य विकास मंत्री प्रीतम सिंह, पेयजल मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी, मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन, प्रमुख सचिव एवं एफआरडीसी विनीता कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री डीके कोटिया सहित केंद्रीय मंत्रालय व राज्य सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।