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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विभिन्न कारणों से प्रमुख निवेश परियोजनाओं के कार्यान्वयन में होने वाली देरी को समाप्त करने के लिए एक निगरानी व्यवस्था के गठन को मंजूरी दी है। यह मामला दिसंबर में हुई प्रधानमंत्री की व्यापार और उद्योग परिषद की बैठक में उठाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि प्रमुख परियोजनाओं को गति प्रदान करने के लिए उन पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। इससे अर्थव्यवस्था को नया प्रोत्साहन मिलेगा। यह विषय परियोजनाओं के अनेक मोर्चो यथा सुरक्षा, पर्यावरण और अन्य बाधाओं तथा भूमि संबंधी मामलों आदि पर महसूस की जा रही देरी के कारण सामने आया। हालांकि मौजूदा नियमों और कानूनों का पालन किया जाना जारी रहेगा, लेकिन यह व्यापक रूप से महसूस किया गया कि यदि समस्याओं को हल करने की मंशा हो, तो बहुत सारी देरी का निवारण किया जा सकता है।
इस निर्णय के अनुसरण में एक निवेश निगरानी व्यवस्था गठित की गई है, जिसमें यह व्यवस्था होगी-राष्ट्रीय निर्माण प्रतियोगी परिषद गठित की जाएगी, जो एक हजार करोड़ रूपए और उससे अधिक के निवेश की सार्वजनिक क्षेत्र की सभी परियोजनाओं पर नजर रखेगी। यह परिषद निगरानी की गई सभी परियोजनाओं पर एक त्रिमासिक वक्तव्य प्रस्तुत करेगी और चिन्हित मामले की जानकारी देगी, जिसकी व्यवस्थित रूप से अथवा एकल रूप से समाधान करने की आवश्यकता होगी।
वित्तीय सेवा विभाग निजी क्षेत्र की एक हजार करोड़ रूपए और उससे अधिक राशि के निवेश की परियोजनाओं पर निगरानी रखेगा। विभाग इस उदे्दश्य के लिए बैकिंग क्षेत्र के पास उपलब्ध आंकड़ों का प्रयोग करेगा, साथ ही यह विभाग निगरानी की गई सभी परियोजनाओं और चिन्हित मामलों से संबंधित त्रिमासिक वक्तव्य प्रस्तुत करेगा, जिसकी व्यवस्थित रूप से अथवा एकल रूप से समाधान करने की आवश्यकता होगी।
इस व्यवस्था के जरिए परियोजनाओं की किसी देरी के लिए समय-समय पर समीक्षा की जाएगी और समाधान के लिए विशिष्ट अथवा व्यवस्थित मामलों की पहचान की जाएगी। वित्तीय सेवा विभाग और राष्ट्रीय निर्माण प्रतियोगिता परिषद, निगरानी किए गए मामलों की त्रिमासिक रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्तुत करेगे। आवश्यकतानुसार उनमें सुधार करने के लिए कार्यवाही की जाएगी।