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पृथ्‍वी से अच्‍छा व्‍यवहार करो

पर्यावरण दिवस पर साइंस एक्‍सप्रेस को हरी झंडी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

साइंस एक्‍सप्रेस-science express

नई दिल्‍ली। विश्‍व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण एवं वन राज्‍य मंत्री जयंती नटराजन एवं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने नई दिल्‍ली के सफदरजंग रेलवे स्‍टेशन से साइंस एक्‍सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौक़े पर उन्‍होंने कहा कि पर्यावरण के महत्‍व को स्‍वीकारने और हमारे जीवन के लिए इसकी अहमियत को समझने के लिए विश्‍व पर्यावरण दिवस मनाना महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि हर साल विश्‍व पर्यावरण दिवस सिर्फ जागरूकता पैदा करने के लिये नहीं मनाया जाता बल्कि यह हमें अपने लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को संजोने के हमारे दायित्‍व के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जताने का भी दिन होता है, यह एक सकारात्‍मक पर्यावरणीय कदम का आह्वान करता है, ताकि हम अपने ग्रह को पराभव से बचा सकें।
उन्‍होंने एक अमरीकी कहावत का भी उल्‍लेख किया, जिसमें कहा गया है कि ‘पृथ्‍वी से अच्‍छा व्‍यवहार करो : इसे तुम्‍हे तुम्‍हारे पूर्वजों ने नहीं दिया है, बल्कि तुम्‍हारे बच्‍चों ने इसे ऋण के रूप में तुम्‍हें सौंपा है।
उन्‍होंने अथर्व वेद की पृथ्‍वी पर सूक्ति का उल्‍लेख किया-
उठना हो या बैठना, खड़ा होना हो या टहलना
चाहे हमारा साथ दायां पैर हो या बायां
पृथ्‍वी पर हम कभी न लड़खड़ाएं

विश्‍व पर्यावरण दिवस के मनाए जाने की शुरूआत सन् 1972 में हुई और अब ये संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ का दुनिया भर में पर्यावरण पर जागरूकता फैलाने और राजनीतिक तथा सामा‍जिक चेतना और कार्यों को प्रोत्‍साहित करने के लिए प्रमुख माध्‍यम बन गया है। यह हर एक को ये समझने का मौका देता है कि पर्यावरण को बचाना न केवल उनकी जिम्‍मेदारी है, बल्कि समान और टिकाऊ विकास को सहयोग देने के लिए बदलाव का दूत बनने की उनकी शक्ति भी है।
भारत में समृद्ध प्राकृतिक संसाधन हैं, जिनका विस्‍तार अति महान हिमालय से लेकर गंगा के मैदानी क्षेत्र और दक्षिण के पठार तक है। रेगिस्‍तान से हरे-भरे उत्‍तर-पूर्व तक है। पश्चिम घाट और तटीय क्षेत्र तथा अनेकों द्वीप भी प्राकृतिक संसाधनों से भरे पड़े हैं। इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि विविधता वाले दुनिया के 12 विशाल देशों में भारत भी एक है, जहां समृद्ध जैव विविधता और पारम्‍परिक ज्ञान का भंडार है। उन्‍होंने कहा कि जैव विविधता की जागरूकता के कारण ही हम खतरे में पड़े अपने पारिस्थितिकी चक्र और प्रजातियों को बचा सकेंगे।
जयंती ने कहा कि पारिस्थितिकी और जैव विविधता के पराभव से निपटने के लिए मंत्रालय की नीतियों का लक्ष्‍य प्राकृतिक संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन और संवर्धित जीवन स्‍तर है। वर्तमान दशक (2010-2020) को जैव विविधता पर संयुक्तराष्‍ट्र दशक और मरुस्थलों एवं मरूस्‍थलीकरण के विरुद्ध संघर्ष का दशक घोषित किया गया है। भारत 8 से 19 अक्‍टूबर को हैदराबाद में जैविक विविधता पर सम्‍मेलन कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज़ की ग्‍यारहवीं (सीओपी-11) बैठक की मेज़बानी कर रहा है। उन्‍होंने बताया कि सांइस एक्‍सप्रेस की थीम जैव विविधता है, इसका उद्देश्‍य वैविध्‍य पारिस्थितिक चक्र को बचाने के लिए जागरूकता पैदा करना है।
उन्होंने बताया कि साइंस एक्‍सप्रेस का चयन इसलिए किया गया है, ताकि रेलवे के देश भर में फैले विशाल नेटवर्क के जरिए जागरूकता का संदेश देश की ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके। जैव विविधता स्‍पेशल-साइंस एक्‍सप्रेस सौ से अधिक स्‍टेशनों पर रुकेगी। पांच से 22 जून तक चलने वाली यह ट्रेन लगभग 18 हजार किलोमीटर का सफर तय करेगी। संभावना है कि विभिन्‍न समूहों के लोग विशेषकर छात्र साइंस एक्‍सप्रेस को देखने पहुंचेंगे। हर स्‍टेशन पर मंत्रालय के राष्‍ट्रीय पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम और राष्‍ट्रीय हरित कोर के संयोजन से कई कार्यक्रम आयोजित किये जाने की योजना है।
ट्रेन के आठ डिब्‍बों में विभिन्‍न आयामों से देश की सभी जैव विविधता प्रदर्शित की गई है। चार डिब्‍बों में एचएसबीसी, पीसीआरए और स्विट्जरलैंड तथा नेसले के सहयोग से जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता तथा जल एवं ऊर्जा संरक्षण की प्रदर्शनी लगाई गई है। राज्‍य मंत्री ने कहा कि प्रकृति रक्षति रक्षिता अर्थात प्रकृति की यदि हम रक्षा करते हैं, तो वह हमारी रक्षा करती है।

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