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अमरनाथ यात्रा के साथ दुस्साहस-विहिप

श्राइन बोर्ड का अध्यक्ष बदलें नहीं तो देशव्यापी आंदोलन

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नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि अमरनाथ यात्रा की अवधि का विवाद प्राकृतिक मौसम के कारण नहीं बल्कि राजनीतिक मौसम की खराबी के कारण है। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा है कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड केवल कुछ अलगाववादियों को खुश करने के लिए हिंदुओं की इस पावन यात्रा के साथ खिलवाड़ करने का दुस्साहस कर रहा है। वे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे और उनके साथ विश्व हिंदू परिषद-जम्मू कश्मीर प्रांत के वे पदाधिकारी उपस्थित थे, जिनके नेतृत्व में इस पावन यात्रा की गरिमा को बचाने का संघर्ष चल रहा है। इस आंदोलन के पहले चरण में शिवभक्तों को विजय प्राप्त हुई है।
विहिप ने दिल्ली आकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री को इस यात्रा के साथ खिलवाड़ करने वाले राज्यपाल को हटाने तथा भविष्य में किसी और को खिलवाड़ न करने देने की व्यवस्था को सुनिश्चित करने हेतु निवेदन करते हुए ज्ञापन दिया। इस प्रतिनिधि मंडल में जम्मू कश्मीर प्रांत के उपाध्यक्ष हेमराज खजुरिया, प्रांत के महामंत्री डॉ श्याम लाल गुप्ता, जम्मू के अध्यक्ष डॉ वीके गुप्ता, बजरंग दल के क्षेत्रीय संयोजक नंद किशोर और प्रांत संयोजक नीरज कुमार शामिल थे। डॉ जैन ने राज्यपाल वोहरा के नेतृत्व में गठित बोर्ड पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन्होंने ही 2008 में बाबा की जमीन का दुर्भाग्यपूर्ण विवाद खड़ा करके पूरे देश में आग लगाई थी, जिसके कारण 63 दिन जम्मू बंद रहा था और 14 शिवभक्तों को अपना बलिदान देना पड़ा था। उसके बाद से ही ये इस पावन यात्रा की अवधि कम करते हुए इसको बंद करने का षडयंत्र कर रहे हैं।
डॉ जैन ने कहा कि यात्रियों की बढ़ती संख्या के बावजूद अवधि को लगातार कम करते जाना एक षडयंत्र ही हो सकता है। अमरनाथ यात्रा को वर्ष 2010 में 55 दिन, 2011 में 45 दिन और 2012 में और भी घटाकर 39 दिन करना मौसम या मार्ग के कारण नहीं केवल अलगाववादियों को खुश करने के लिए ही हो सकता है। वर्ष 2008 में लगी आग भी वोहरा इशारे पर ही लगाई गई थी। यह अब स्पष्ट हो गया है कि वहां के राज्यपाल अलगाववादियों के एजेंट और बोर्ड के सदस्य उनके सेवक की तरह काम कर रहे हैं।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड के दायित्व और अधिकारों का निर्णय अमरनाथ श्राइन बोर्ड एक्ट, मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट और 2005 में जस्टिस कोहली का निर्णय ही करते है। इन सबके अनुसार उस कठिन परिस्थिति में यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए वहां पर अस्पताल बनाने चाहिएं, मार्ग चौड़े होने चाहिएं, मौसम खराब होने पर उपयोग होने वाले यात्री निवास होने चाहिएं, परंतु दुर्भाग्य से इन सब कामो में अपनी नाकामी को छिपाने के लिए वोहरा हर बार वो काम करते हैं जिसको करने का उन्हें अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि वोहरा अमरनाथ यात्रा की अवधि के साथ बार-बार छेड़खानी करके एक अनिश्चितता का वातावरण निर्माण करना चाहते हैं, जिससे यात्री परेशान हो जाएं और यात्रा बंद करके घाटी में हिंदुओं के जाने पर पूर्ण प्रतिबंध के अलगाववादी एजेंडे को पूरा किया जा सके। वे पुराने और अलग-अलग समय पर बनाए गए चित्र दिखाकर शिवभक्तों को धोखा देना चाहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि बाबा के मार्ग में बर्फ नहीं जमी होगी तो क्या बर्फ दिल्ली में कनाट प्लेस में जमी होगी? क्योंकि वहां बर्फ हमेशा होती है, इसीलिए उसे बर्फानी बाबा कहा जाता है।
अप्रैल माह में पंजाब के कुछ युवक वहां दर्शन कर आ चुके हैं, उस समय के चित्र अखबारों में छप चुके हैं, टीवी चैनल दिखा चुके हैं। अब वे कहते हैं कि मार्ग ठीक नहीं है। क्या इतने दिनों में वे मार्ग को ठीक करने की जगह बंद करने का काम करते रहे हैं। उनके नापाक इरादों का भंडाफोड़ उसी समय हो गया था, जब ज्ञानानंद महाराज ने कहा था कि बोर्ड तो अक्तूबर में ही 25 जून तय कर चुका था, सदस्यों से तो केवल धोखे या दबाव से हस्ताक्षर कराये गए और ज्ञानानंद इस धोखे में नहीं आये। अब वे बार-बार बर्फ दिखाकर पूरे देश के साथ धोखा करना चाहते हैं, जिसको शिवभक्त सहन नहीं कर सकते।
बाबा अमरनाथ का क्षेत्र ज्योतिषपीठ के अंतर्गत आता है। वहां के शंकराचार्य का निर्णय इस विषय में सर्वोच्च है। वे जम्मू में आकर अपना निर्णय दे चुके हैं। उनका निर्णय है कि यह यात्रा पूरे वर्ष चलानी चाहिए, यही परंपरा है। केवल इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा का विचार किया गया है। इनके निर्णय के बाद अब किसी अन्य के विचार का कोई महत्त्व नहीं है। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता ने बताया कि 3 जून से ही जम्मू में पूरे देश से हजारों शिवभक्त उपस्थित थे, जो ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बाबा के दर्शन करना चाहते थे। उनको जबरन रोका गया। वहां रास्ता साफ़ करने करने के लिए गूजर भाई जाना चाहते थे, उनको भी वहां नहीं जाने दिया गया।
विहिप प्रवक्ता ने कहा कि जब बजरंग दल के 15-20 कार्यकर्ताओं ने वहां की सही स्थिति जानने के लिए जाने की कोशिश की तो उनको गिरफ्तार कर लिया गया। जम्मू में एकत्रित शिवभक्तों को भी गिरफ्तार किया गया। अब उन्हें ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही पूजन करना पड़ा, चाहे वह अधूरा ही था। इस प्रकार अब ज्येष्ठ पूर्णिमा स्थापित हो चुकी है, वे इससे पीछे नहीं हट सकते। इसका साफ मतलब है कि राज्यपाल वहां की स्थिति को छिपाना चाहते हैं। उन्हें देश का क्रोध भी दिखाई दे गया है। इससे लगता है कि यह श्राइन बोर्ड हिंदू विरोधी है और वह इस यात्रा के विकास के लिए नहीं बल्कि उसके विनाश के लिए काम कर रहा है। इसलिए हम ऐसी व्यवस्थाएं बनाने की मांग करते हैं, जिससे भविष्य में फिर कोई राज्यपाल इस यात्रा के साथ खिलवाड़ न कर सके।
विहिप की मांगे हैं-वर्तमान राज्यपाल को अविलंब हटाकर एक शिवभक्त और देशभक्त राज्यपाल को वहां नियुक्त किया जाए। बोर्ड का वर्तमान चरित्र हिंदू विरोधी और शिव विरोधी है, इसे बदलकर शिवभक्तों का ही बोर्ड बनाया जाए। बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए जाने वाले सभी मार्गों को मिलाकर जो क्षेत्र बनता है, उसे बाबा अमरनाथ क्षेत्र घोषित किया जाए, जिस तरह माता वैष्णो देवी या तिरुपति में होता है। बाबा अमरनाथ के मार्गों में बड़े अस्पताल बनाए जाएं, जिससे वहां कोई आपदा आने पर शिवभक्तों के प्राणों को बचाया जा सके। बाबा के मार्गों को चौड़ा करना वहां यात्री विश्राम गृह बनाना जगह-जगह आक्सीजन की व्यवस्था करना आदि जो काम बोर्ड के हैं, उनको अविलंब पूरा कराया जाए, क्योंकि राज्यपाल राष्ट्रपति का ही प्रतिनिधित्व करता है इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि वे एक माह में राज्यपाल को उपयुक्त आदेश दें, अब हिंदू हर वर्ष यह झगड़ा नहीं चाहते। यदि कोई उपयुक्त कार्यवाही नहीं हुई तो एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में विहिप दिल्ली के अध्यक्ष स्वदेश पाल गुप्ता और जम्मू कश्मीर पीपिल्स फ़ोरम के नेता महेंद्र मेहता भी उपस्थित थे।

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