स्वतंत्र आवाज़
word map

भारत-कनाडा में सड़क व परिचालन समझौता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

सीपी जोशी और डेनिस लेबल-cp joshi and denis label

टोरंटो। कनाडा के परिवहन, आधारभूत संरचना व संचार मंत्री डेनिस लेबल के निमंत्रण पर कनाडा आए भारत के केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्री सीपी जोशी के तीन दिन (10 से 13 जून) के दौरे में भारत और कनाडा ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किया। इस समझौते से आधारभूत विकास, सड़कों के रखरखाव व परिचालन तथा कुशल परिवहन प्रणाली आदि के क्षेत्रों में एक-दूसरे के ज्ञान तथा तकनीकी विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने में मदद मिलेगी। भारत ने देश भर में फैले राष्‍ट्रीय राजमार्गों के उन्‍नयन और उनके विकास के लिए तथा एक्‍सप्रेस मार्गों के विकास के लिए निजी-सरकारी-भागीदारी की व्‍यवस्‍था पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए सभी आधुनिक निर्माण तकनीकी, सूचना तकनीकी तथा इलेक्‍ट्रानिक टोल कलेक्‍शन प्रणाली उपयोग की जाएगी। ऐसी संभावना है कि भारत की महत्वाकांक्षी राष्‍ट्रीय राजमार्ग और एक्‍सप्रेस-वे विकास परियोजनाओं में कनाडाई उद्योग की भागीदारी बढ़ेगी।
डॉ सीपी जोशी ने अपने इस दौरे में आईटीएस कनाडा और इंडो-कनाडा व्‍यापार परिषद की आयोजित 15वें वार्षिक सम्‍मेलन के पहले पूर्ण अधिवेशन को संबोधित किया। सम्‍मेलन की थीम थी ‘परिवहन का एक नई डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था में परिवर्तन’। उन्‍होंने राष्‍ट्रीय राजमार्गों और एक्‍सप्रेस-वे के विकास और आधुनिकीकरण में भारत की योजनाओं का उल्‍लेख किया और बताया कि इन भावी परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की जरूरत होगी। उन्‍होंने कहा कि पूरे देश में उत्‍कृष्‍ट परिवहन व्‍यवस्‍था लागू करने के लिए भारत व्‍यापक रूप में सूचना तकनीकी और आधुनिक तकनीकी के इस्‍तेमाल की ओर देख रहा है1 जोशी ने जोर देकर कहा कि इस लक्ष्‍य को हासिल करने में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, तकनीकी हस्‍तांतरण और सहयोग बढ़ाकर कनाडाई विशेषज्ञता भारत की मदद कर सकती है।
परिवहन मंत्री ने इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम को पूरे देश में लागू करने के लिए भारत के उद्देश्‍य का उल्‍लेख करते हुए बताया कि कुशल और सक्रिय यूजर इंटरफेस के साथ परिवहन के विविध पक्षों से जुड़े सुसंगत और विशाल नेटवर्क का डेटाबेस विकसित करना तथा उसका प्रबंधन, सभी पंजीकृत वाहनों के आंकड़ों का राष्‍ट्रीय स्‍तर पर रजिस्‍टर तैयार करना, ड्राइविंग लाइसेंस और जारी की गई परमिटों का डाटा तैयार करना, सड़क सुरक्षा से जुड़े आंकड़ों के संकलन है। उन्‍होंने बताया कि इसमें जीआईएस आधारित सूचना तकनीकी के इस्‍तेमाल के द्वारा सड़कों पर जाम, वाहनों का आवागमन, वाहनों की खोज और राजमार्ग तथा एक्‍सप्रेस-वे पर दुर्घटनाओं (विशेषकर चिह्नित क्षेत्रों में) की निगरानी आदि शामिल हैं। साथ ही साथ सड़कों के विकास, प्रदूषण तथा सड़कों की स्थिति के लिए एंवायरमेंट फ्रैंडली, प्रचालन तंत्र और प्रदूषण से संबद्ध आंकड़ों का संग्रहण भी इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम का हिस्‍सा होगा। सम्‍मेलन में विभिन्‍न सरकारों के मंत्रियों, उद्योग प्रतिनिधियों, गैर सरकारी संस्‍थानों तथा अकादमिक संस्‍थानों ने हिस्‍सा लिया। इसमें इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम अपनाने के लिए विभिन्‍न पहलुओं पर व्‍यापक रूप से चर्चा की गई।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]