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इस्लामाबाद। भारत ही नहीं दुनिया में ग़ज़लों के शौकीन लोगों के प्रिय मेहदी हसन अब दुनिया में नहीं रहे। भारत में जन्मे ग़ज़ल के बेताज बादशाह मेंहदी हसन का बुधवार को कराची में एक निजी अस्पताल में लंबी बीमार के बाद निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे, उन्हें कई वर्षों से फेफड़ों और सीने में तकलीफ रहा करती थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में दो विवाह किए थे, जिससे उनके नौ बेटे और पांच बेटियां हैं। वर्ष 1927 में राजस्थान के लूना गांव में मेहदी हसन का जन्म हुआ था, लेकिन 1947 में बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था। मेहदी हसन पाकिस्तान की फिल्मों में पार्श्वगायक के रूप में 1960 से 1980 तक के पुराने नग्में चाव से सुने जाते हैं। पाकिस्तान फिल्म उद्योग के लोकप्रिय गीतकार का दर्जा हासिल करने वाले मेहदी हसन को भारत के फिल्मफेयर एवार्ड के बराबर निगार अवार्ड से दसियों बार नवाज़ा गया है।
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, भारतीय फिल्म की जानी-मानी हस्तियों, गीतकारों और संगीतकारों, भारत कोकिला लता मंगेशकर, जावेद अख्तर आदि ने जाने-माने ग़ज़ल गायक मेहदी हसन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने शोक संदेश में कहा कि मेहदी हसन ने अपनी गायिकी के माध्यम से भारतीय उप-महाद्वीप में सूफी विचारधारा का प्रचार किया। उर्दू शायरी के प्रति उनके लगाव और ध्रुपद परंपरा को आगे बढ़ाने में उनके योगदान से संगीत के संसार में उन्हें विशिष्ट स्थान मिला है। प्रधानमंत्री ने मेहदी हसन के शोक संतप्त परिवार के प्रति हमदर्दी जाहिर की है।