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लखनऊ। कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने प्रदेश में अन्न भंडारण को लेकर आ रही समस्या के समाधान के लिए भंडारण व्यवस्था एवं इससे जुड़े हुए शासकीय विभाग यथा-एफसीआई, पीसीएफ, राज्य भंडारागार निगम, मंडी परिषद की गहन समीक्षा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में कृषि उत्पादन के भंडारण के लिए कुल मांग 70.00 लाख मैट्रिक टन है, जबकि प्रदेश में उपलब्ध कुल भंडारण क्षमता 55.58 लाख मैट्रिक टन है। विभागों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन की भंडारण क्षमता-10.51 लाख मैट्रिक टन, एफसीआई-14.92 लाख मैट्रिक टन, सीडब्ल्यूसी-6.27 लाख मैट्रिक टन, एसडब्ल्यूसी-23.86 लाख मैट्रिक टन। इस प्रकार प्रदेश में तात्कालिक प्रभाव से कुल 11.06 लाख मैट्रिक टन की भंडारण क्षमता सृजित किये जाने की आवश्यकता है।
एसडब्ल्यूसी ने कालांतर में 8.17 लाख मैट्रिक टन क्षमता के भंडार-गृहकैप किराये पर लिये हैं। इसके अतिरिक्त एफसीआई की पीईजी योजना के अंतर्गत गेहूं तथा चावल निर्माण के लिए 18.6 लाख मैट्रिक टन की क्षमता के नवीन प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप के अंतर्गत स्वीकृत किये गये हैं, जिसके सापेक्ष निविदा के माध्यम से 13.975 लाख मैट्रिक टन के प्रस्ताव स्वीकृत कर दिये गये हैं, जिसमें से 9 लाख मैट्रिक टन की भंडारण क्षमता का सृजन सितंबर 2012 तक किया जाना प्रस्तावित है, इसके अतिरिक्त 0.47 लाख मैट्रिक टन एसडब्ल्यूसी अपने संशाधनों से परियोजना स्वीकृत कर भंडार गृह का निर्माण करा रहा है।
एफसीआई 1.40 लाख मैट्रिक टन क्षमता का भंडारागृह निर्माण स्वयं के संसाधनों से कर रहा है। पीसीएफ ने अवगत कराया है कि संस्था के अंतर्गत 3.40 लाख मैट्रिक टन की अतिरिक्त भंडारण क्षमता का सृजन चार चरण में किया जाना है। प्रथम चरण में 1.25 लाख मैट्रिक टन, द्वितीय चरण में 0.835 लाख मैट्रिक टन, तृतीय चरण में 0.42 लाख मैट्रिक टन एवं चतुर्थ चरण में 0.905 लाख मैट्रिक टन का निर्माण किया जाना है, जिसमें से 0.42 लाख मैट्रिक टन का भंडार क्षमता निर्माणाधीन है। इस प्रकार एफसीआई, एसडब्ल्यूसी एवं पीसीएफ के कुल 23.33 लाख मैट्रिक टन क्षमता का निर्माण कार्य का प्रस्ताव है, जिसके सापेक्ष 11.29 लाख मैट्रिक टन क्षमता का भंडारगृह निर्माणाधीन है। पीसीएफ ने मार्च 2013 तक 3.10 लाख मैट्रिक टन क्षमता के भंडारगृह तैयार किये जाने का संकल्प लिया है।
बैठक में विचार किया गया कि मंडी परिषद की 87 उन मंडियों में जहां पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, लगभग 5 लाख मैट्रिक टन के खाद्यान्न भंडारित करने के लिए गोदामों का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। प्रथम चरण में मंडी परिषद के 3 लाख मैट्रिक टन के पैसवे का निर्माण कराने का लक्ष्य है। इनकी क्षमता प्रति इकाई 25 हजार मैट्रिक टन तक रहेगी। मंडी परिषद पैसवे के माध्यम से भंडारण क्षमता सृजित करेगी। इस स्कीम के अंतर्गत भारत सरकार से अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्राप्त किये जाने का प्रस्ताव है, इसके अतिरक्त नाबार्ड की संचालित आरआईडीएफ स्कीम के अंतर्गत 50 प्रतिशत तक का ऋण 7.5 प्रतिशत ब्याज पर लिये जाने का विचार है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने यह निर्देश दिया है कि भारत सरकार की ग्रामीण भंडारण योजना का भी लाभ उठाया जाए एवं इसे डब्ल्यूडीआरए से पंजीकृत कराकर लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए व्यवस्था लागू करायी जाए। बैठक में प्रमुख सचिव सहकारिता देवाशीष पांडा, प्रबंध निदेशक राज्य भंडारागार निगम बीपी सिंह, निदेशक मंडी सत्येंद्र सिंह अपर निदेशक सहकारिता एसके त्रिपाठी सहायक महाप्रबंधक नाबार्ड कमल कुमार, सहायक महाप्रबंधक एफसीआई संजय शर्मा आदि अधिकारी उपस्थित थे।