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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में राजनीतिक हालात अत्यंत खराब हैं और इनकी आंच से पाकिस्तान का अवाम बेहद मुश्किल में है। पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत और वहां के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बीच का विवाद आखिर अपने चरम पर पहुंचा और अदालती अवमानना का कसूरवार करार दिए जाने के बाद संविधान की हिफाजत का हवाला देकर अपने रुख और पद पर कायम रहने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को मंगलवार को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सांसद अयोग्य करार दे दिया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हुए गिलानी का साथ छोड़ दिया है और नए प्रधानमंत्री की तलाश भी शुरू कर दी है। पाकिस्तान में करीब ढाई साल से न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव के चलते प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायधीशों की खंडपीठ ने कहा कि 26 अप्रैल को अदालती अवमानना का दोषी करार दिए जाने के बाद से ही प्रधानमंत्री के रूप में गिलानी का अध्याय खत्म हो चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूसुफ रजा गिलानी को इस पद के लिए अयोग्य घोषित करने के साथ ही राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए कहा है। उसने नेशनल असंबली की स्पीकर फहमीदा मिर्जा के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इस मामले का सबसे ज्यादा चौकाने वाला पक्ष यह है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने गिलानी का साथ नहीं दिया और देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले को तुरंत स्वीकार कर लिया, उसने नए प्रधानमंत्री को चुनने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 अप्रैल के आदेश के बाद कोई अपील दायर नहीं किए जाने से दोष सिद्धि अंतिम है। ऐसे में सैयद यूसुफ रजा गिलानी मजलिस-ए-शूरा (संसद) की सदस्यता से अयोग्य हो गए हैं। पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि वह इस तिथि से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी नहीं रहे हैं और तब से प्रधानमंत्री पद भी इसी के मुताबिक खाली समझा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को खोलने में नाकाम रहने के कारण 26 अप्रैल को यूसुफ रजा गिलानी को अदालती अवमानना का दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि गिलानी की अयोग्यता को लेकर अधिसूचना जारी की जाए।
सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपने नेता यूसुफ रजा गिलानी को संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को स्वीकार करते हुए नया नेता चुनने के लिए कई बैठकें बुलाईं। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी की संयुक्त अध्यक्षता में मंगलवार को पीपीपी आलाकमान की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्वीकार करने का फैसला किया गया। पीपीपी संसदीय दल और गठबंधन के सदस्यों की अलग-अलग बैठकें बुलाई गई हैं। इन बैठकों में गिलानी के स्थान पर दूसरे नेता का चुनाव किया जाएगा। माना जा रहा है कि बुधवार को संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली का सत्र बुलाया जाएगा और नए प्रधानमंत्री का औपचारिक चुनाव होगा।
यूसुफ रजा गिलानी को लेकर स्पीकर के फैसले का हवाला देकर चुनौती वाली संवैधानिक याचिकाएं पीएमएल-एन, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, वकील अजहर चौधरी और कुछ अन्य लोगों की ओर से दायर की गई थी। फहमीदा ने इस साल 24 मई को गिलानी को सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराने से इंकार कर दिया था। पाकिस्तान में न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की शुरुआत दिसंबर, 2009 में उस वक्त हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में भ्रष्टाचार के मामले में माफी से जुड़े प्रावधान को रद्द कर दिया था। मुशर्रफ शासन के उस फैसले से जरदारी सहित आठ हजार से अधिक लोगों को सीधा फायदा हुआ था। इसके बाद से ही सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान की सरकार पर लगातार दबाव बनाता रहा कि वह जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोले, लेकिन गिलानी राष्ट्रपति के लिए संवैधानिक छूट का हवाला देकर इसको टालते रहे। इसी क्रम में देश की सबसे बड़ी अदालत ने गिलानी को अदालती अवमानना का दोषी करार दिया। इस घटनाक्रम के बाद संघीय सरकार के मंत्रियों चौधरी अहमद मुख्तार, मखदूम शहाबुददीन और खुर्शीद शाह का नाम इस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद के संभावितों में चल रहा है।