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सेवा कर पर निर्देश-पत्र जारी

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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सेवा कर के नये प्रस्‍ताव पर निर्देश-पत्र जारी किया। यह निर्देश-पत्र बजट पर सेवाओं के कराधान के लिए नकारात्‍मक सूची आधारित व्‍यापक प्रस्‍ताव पेश करने की सरकार की एक वर्ष से ज्‍यादा समय से जारी कवायद का नतीजा है। इससे देश और अर्थव्‍यवस्‍था को वस्‍तु और सेवा कर लागू करने की दिशा के नजदीक ले जाया जायेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि सेवा कर की यात्रा में कदम-दर-कदम प्रगति हुई है, जो 1994 में शुरू हुई थी और इस महीने के अंत तक इसके 18 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पहले वर्ष में राजस्‍व करीब 400 करोड़ रूपये था जो बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 97,000 करोड़ रूपये से ज्‍यादा हो गया, इसमें 2010-11 में 37 प्रतिशत से ज्‍यादार बढ़ोत्तरी हुई है। इस वर्ष पहले दो महीने में 40 प्रतिशत से अधिक वृद्धि देखने को मिली है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हम अब पूरी तरह से कराधान की नई प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं, जिसे नकारात्‍मक सूची के नाम से जाना जाता है। इसके बाद से केवल नकारात्‍मक सूची में बताई गई वस्‍तुओं को छोड़कर सभी सेवाओं पर कर देना होगा। नकारात्‍मक सूची कर विभाग और कर दाताओं दोनों का काम आसान कर देगी। इससे मुकदमें बाजी कम होगी और हम वस्‍तु और सेवा कर के अपने उद्देश्‍य तक पहुंच जाएंगे। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमने छूट की सूची में कुछ बदलाव किये हैं। नई छूट कुछ सहायक सेवाओं जैसे औपचारिक शिक्षा, वकीलों की फर्मे और वकील जेएनएनयूआरएन के अंतर्गत निर्माण कार्य और राज्‍य आवास योजना, मोनोरेल और मेट्रो का निर्माण तथा केबल कार के आवागमन से जुड़ी है।
उन्‍होंने कहा कि कुछ और छूट हैं, जिनमें विमानों की मरम्‍मत और रख-रखाव, मुख्‍य ठेकेदार को उप-ठेकेदार द्वारा प्रदान की गई सेवायें सार्वजनिक पुस्‍तकालयों और कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम की सेवाएं, जन सुविधाओं के तरीके शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि हमने अनेक राज्‍यों की उस चिंता को भी ध्‍यान में रखा है कि विशेष कानून के अंतर्गत हो सकता है कि कुछ स्‍वायत्तशासी संस्‍थाएं उन लाभों को न ले सके जो सरकार या स्‍थानीय अधिकारियों के लिए उपलब्‍ध है। इसके अनुसार नगर निगमों के काम-काज के संबंध में सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं और ऐसे अधिकारियों को प्रदान की गई अनेक अन्‍य सेवाओं को छूट के दायरे में लाया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इन छूटों और कुछ अन्‍य मामूली बदलाओं के परिणामस्‍वरूप छूट की कुल संख्‍या 34 से बढ़कर 38 हो गई है।
वित्त मंत्री ने कर अनुसंधान इकाई के अधिकारियों को बधाई दी और नकारात्‍मक सूची के रूप में सेवाओं पर कर लगाने के बारे में निर्देश-पत्र लाने के लिए की गई मेहनत के लिए उनकी सराहना की। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वर्तमान वर्ष के लिए हमने सेवा कर से 1,24,000 करोड़ रूपये का लक्ष्‍य रखा है। उन्‍होनें आशा व्‍यक्‍त की कि नए सुधार लक्ष्‍य को बढ़ाने में उत्‍प्रेरक का काम करेंगे। उन्‍होंने एक बार फिर सीबीईसी, उसके अध्‍यक्ष, संबद्ध सदस्‍यों और टीम टीआरयू की सराहना की।

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