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राजा परवेज़ अशरफ़ पर भी हैं भ्रष्टाचार के आरोप

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राजा परवेज अशरफ-raja pervez ashraf

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने नए प्रधानमंत्री के पद पर चयनित मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में अदालत से वारंट जारी होने से उनकी दावेदारी यहीं खत्म हो जाने के कारण ऐसे ही आरोपों से घिरे दूसरे पूर्व आईटी मंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ को आखिर यूसुफ रज़ा गिलानी का उत्तराधिकारी चुन लिया। संसद ने भी विशेष सत्र बुलाकर उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया है। इससे पहले पीपीपी के वरिष्ठ नेता खुर्शीद शाह ने पार्टी के नए उम्मीदवार की घोषणा संसद में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में की। खुर्शीद शाह ने कहा कि अपनी सहयोगी पार्टियों से सलाह मशविरा के बाद पार्टी नेतृत्व ने मुझे प्रधानमंत्री पद के लिए राजा परवेज़ अशरफ़ का नाम दिया है। संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली ने शाम 5:30 बजे नये प्रधानमंत्री का चुनाव कर लिया।

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अयोग्य ठहराया था, जिसके बाद यह चुनाव अनिवार्य हो गया था। यूसुफ गिलानी के विकल्प को तलाशने के पीपीपी के प्रयासों को तब बड़ा झटका लगा था, जब प्रधानमंत्री पद के पार्टी के वास्तविक दावेदार मखदूम शहाबुद्दीन के खिलाफ एक विशेष अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जब वह नामांकन पत्र भर रहे थे। अशरफ़ को शीर्ष अदालत ने उनके उर्च्च्जा मंत्री रहने के दौरान बिजली परियोजनाओं में हुए एक घोटाले से जोड़ा है। उन्होंने शहाबुद्दीन के वैकल्पिक या ‘छद्म’ उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा था।

पीपीपी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कमर जमां कैरा ने भी नामांकन दायर किया था, लेकिन पार्टी की अहम सहयोगी पीएमएल क्यू ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया। शाह ने कहा कि अशरफ़ को पिछले कुछ दिनों में पीपीपी के सहयोगी दलों के साथ राय मशविरा के बाद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुना गया। संवाददाता सम्मेलन में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के नेता भी मौजूद थे।

सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद मखदूम शहाबुद्दीन के नाम गैर जमानती वारंट जारी होने के कारण पार्टी ने अंतिम समय में कमर जमान कैरा को मैदान में उतारा था, जबकि राष्ट्रपति एवं पीपीपी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने शहाबुद्दीन को प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत भी कर दिया था। शहाबुद्दीन का नामांकन पत्र खारिज होने से उत्पन्न होने वाली संभावित स्थिति को टालने के लिए उन्हें उतारा गया है। शहाबुद्दीन जिस समय नेशनल एसेंबली में अपना नामांकन पत्र भर रहे थे, उसी समय रावलपिंडी में मादक पदार्थ निरोधक बल की एक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए। वारंट उनके स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल के दौरान नियंत्रित दवा एफेड्रिन के बड़ी मात्रा में आयात में हुई कथित अनियमितता के आधार पर जारी किया गया है।
पीपीपी के तीनों ही उम्मीदवार शहाबुद्दीन, अशरफ़ और कैरा पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के मंत्रिमंडल में शामिल थे। शहाबुद्दीन और अशरफ़ को भ्रष्टाचार के मामले से जोड़ा गया है। इस मामले पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। कैरा के खिलाफ कोई आरोप नहीं है। गिलानी के पुत्र अली मूसा के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किये गये हैं। सुप्रीम कोर्ट, शहाबुद्दीन के स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में एफेड्रिन के कोटे से इतर आयात की अनुमति देने के आरोपों पर गौर कर रहा है। बिजली मंत्री के रूप में काम कर चुके अशरफ़ का नाम निजी बिजली परियोजनाओं में हुए घोटालों से जोड़ा गया है।
प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गिलानी को अयोग्य करार दिया था। इन याचिकाओं को नेशनल एसेंबली की स्पीकर फहमिदा मिर्जा के उस निर्णय को चुनौती देते हुए दायर किया गया था, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को अवमानना का दोषी ठहराये जाने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित करने से इंकार कर दिया था। शीर्ष न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि प्रधानमंत्री का पद 26 अप्रैल से खाली पड़ा था, जब सात सदस्यीय एक अन्य पीठ ने गिलानी को अवमानना का दोषी ठहराया था। गिलानी ने जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने से इंकार किया था, जिसके कारण उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया गया।

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