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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने 13 अप्रैल 2012 को लखनऊ में लखनऊ-कानपुर से हरदोई तथा हरदोई मार्ग से सीतापुर मार्ग को दो लेन से छह लेन कें चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्यो का आकस्मिक निरीक्षण किया था। बाईस किलोमीटर लंबी इस सड़क की कुल लागत लगभग 300 करोड़ रूपए है। इस सड़क की खराब गुणवत्ता, शिथिल पर्यवेक्षण तथा कार्य में लापरवाही एवं अनियमितता बरतने के परिणामस्वरूप आरकेसिंह अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड-चार लोक निर्माण विभाग लखनऊ, सहायक अभियंता लखन प्रताप चौधरी, केशवलाल, कुलदीप संत, भगवानदीन वर्मा तथा अवर अभियंता महेश सिंह यादव, भाष्कर प्रसाद त्रिपाठी, रवि प्रताप सिंह इरशाद हुसैन अंसारी, द्रगपाल सिंह, विजय कुमार सिंह, कौशलेंद्र प्रताप, रामशंकर यादव, शिव नायक सिंह तथा शिवमुनि सिंह को तात्कालिक प्रभाव से निलंबित किया गया है।
इनके अतिरिक्त तत्कालीन मुख्य अभियंता मध्य क्षेत्र लोक निर्माण विभाग लखनऊ कृष्ण कुमार तथा तत्कालीन अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग लखनऊ अतर सिंह को धारा 10/2 की नोटिस देकर इनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। दो अधिशासी अभियंताओं को कार्य में लापरवाही बरतने एवं रूचि न लेने सहित अन्य कई आरोपों में तात्कालिक प्रभाव से निलंबित किया गया है। इनमे धनीराम रैदास, अधिशासी अभियंता विद्युत अनुरक्षण खंड-1, लोक निर्माण विभाग, लखनऊ के विरूद्ध आगणनों के गठन में विलंब करने, दरों के निर्धारण में अनियमितता बरतने, विभाग की मासिक एवं साप्ताहिक बैठकों में उपस्थित न होने, जांच आख्याओं का निस्तारण समय से न करने, स्थलीय निरीक्षण पर वांछित ध्यान न देने, कर्तव्यों एवं दायित्वों के प्रति उदासीनता बरतने, कार्य प्रणाली में सुधार न लाने, कार्य प्रणाली के असंतोषजनक पाये जाने तथा पद के विहित दायित्वों का सम्यक निर्वहन न कर अनुशासनहीनता बरतने एवं कदाचार किये जाने आदि अनियमितताओं के लिए तात्कालिक प्रभाव से निलंबित किया गया है।
इसी प्रकार वाईपी सिंह अधिशासी अभियंता (सिविल), अनुरक्षण खंड-2 लोक निर्माण विभाग, लखनऊ के विरूद्ध सरकारी भवनों के रखरखाव व अनुरक्षण कार्यो में घोर लापरवाही एवं उदासीनता बरते जाने, उच्चधिकारियों के लिखित व मौखिक निर्देश दिये जाने के बावजूद कार्यप्रणाली में सुधार न लाने, कार्यप्रणाली के असंतोषजनक पाये जाने, सरकारी कालोनियों के अध्यासियों द्वारा समय-समय पर उच्चधिकारियों से शिकायत तथा पद के विहित दायित्वों का सम्यक निर्वहन न कर अनुशासनहीनता बरतने एवं कदाचार किये जाने आदि अनियमितताओं के लिए तात्कालिक प्रभाव से निलंबित किया गया है। कांशीराम स्मारक स्थल, लखनऊ, इको ग्रीन पार्क लखनऊ, भीमराव अंबेडकर स्मारक स्थल, लखनऊ तथा बौद्ध विहार शांति उपवन लखनऊ के निर्माण में गंभीर प्रशासकीय एवं वित्तीय अनियमित्ता के लिए उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के 18 अधिकारियों को निलंबित किया गया। इनमें एक मुख्य अभियंता, चार महाप्रबंधक, तीन परियोजना प्रबंधक, तीन अपर परियोजना प्रबंधक, दो स्थानिक अभियंता, तीन सहायक लेखाधिकारी तथा एक लेखाकार शामिल है।
जनपद लखीमपुर-खीरी में बाढ़ से बचाव, नहरों की सफाई आदि कार्यो का निरीक्षण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किया था। यहां पर कराये गये कार्य संतोषजनक नही पाये जाने तथा अनियमितता तथा लापरवाही की शिकायतों के आधार तत्कालीन प्रमुख अभियंता (सिंचाई) जयपाल सिंह, अवधूराम मुख्य अभियंता (शारदा) लोटूराम अधीक्षण अभियंता सिंचाई कार्यमंडल सीतापुर/बाढ़ कार्यमंडल लखीमपुर खीरी, रामनयन अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड शारदा नगर लखीमपुर खीरी, भरतराम अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड प्रथम लखीमपुर खीरी, योगेश रावत अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड शारदा नगर लखीमपुरखीरी, एके सिंह अधिशासी अभियंता शारदा सहायक खंड पीलीभीत, राजेश कुमार अधिशासी अभियंता सहायक खंड-23 आजमगढ़, सुदामा राम सहायक अभियंता शारदा सहायक खंड-23 आजमगढ़ तथा अयोध्या प्रकाश सिंह उप राजस्व अधिकारी शारदा सहायक खंड-23 आजमगढ़ को निलंबित किया गया है। निविदा प्रक्रिया में अनियमितता बरतने तथा गलत लोगों को नियम विरूद्ध कार्य आवंटित करने एवं अधीनस्थों पर शिथिल नियंत्रण के लिए मुख्य अभियंता (वेतवा) सेवा लाल को निलंबित किया गया है।
सिंचाई मंत्री ने बाणसागर परियोजना का स्थलीय निरीक्षण किया था, जिसमें उन्होंने पाया कि बाणसागर परियोजना का निर्माण का कार्य पिछले 17 वर्ष से चल रहे है। सबसे बड़ी चिंता का विषय यह पाया गया है कि पिछले 5 वर्ष में 1286 करोड़ रूपये खर्च किये जाने के बावजूद निर्माण कार्य पूरे नही हुए, और उत्तर प्रदेश को एक बूंद पानी नही मिला। बाणसागर परियोजना पर वर्ष 2007 में किये गये अधिकांश अनुबंध के कार्य पूरे नही हुए। वीआरबी का 10.95 पर प्रस्तावित निर्माण तक नही कराया गया। लाइनिंग का कार्य संतोषजनक स्थिति में नही पाया गया तथा प्रस्तावित लाइनिंग कार्य के सापेक्ष प्रगति भी काफी कम थी। ऐसे ठेकेदारों के विरूद्ध दंडात्मक कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये गये। इसके साथ ही यह निर्देश भी दिये गये कि ऐसे कार्य जिनके लिये 31 मार्च 2012 तक कार्य पूर्ण कराये जाने की तिथि निर्धारित है और वे कार्य पूर्ण नही हुए हैं, उन्हें एक वर्ष और समयवृद्धि इस शर्त पर दे दी जाये कि यदि ये कार्य 31 मार्च 2013 तक पूर्ण नही किये गये तो उन पर अर्थदंड लगाया जायेगा। इसके साथ ही उन्हें ब्लैक लिस्ट कर एफआईआर की कार्यवाही भी की जायेगी।
मौके पर यह भी पाया गया कि 8-10 अभियंताओं का गुट बनाकर तैनात किया गया जिसके माध्यम से गंभीर वित्तीय अनियमिततायें बरती गयीं और धन का दुरूपयोग किया गया तथा कार्य को टुकड़ों में करके अनुभवहीन दागी ठेकेदारों को बाटें गये। यहां तक की कुछ अभियंताओं ने तीन-तीन चार्ज भी रखे। इन सभी परिस्थितियों के कारण मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, इलाहाबाद जनपदों को पानी नही मिल पाया, जिससे यहां के किसानों को अपूर्णीय क्षति हुई। अधिकारियों की इस लापरवाही, मिलीभगत तथा धन के दुरूपयोग के प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने पर कठोर कार्यवाही करते हुए छह अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। ये हैं-मुख्य अभियंता मध्य गंगा, अलीगढ़ द्वैत कार्यभार बाणसागर नहर परियोजना। अधीक्षण अभियंता बाण सागर नहर निर्माण मण्डल-2, द्वैत कार्यभार मुख्य अभियंता बाणसागर (लगभग 6 माह) अधिशासी अभियंता, बाणसागर नहर निर्माण-3, मिर्जापुर, द्वैत कार्यभार अधीक्षण अभियंता ,कनहर निर्माण मण्डल, पिपरी। अधिशासी अभियंता, बाणसागर नहर निर्माण खंड-2, मिर्जापुर। अधिशासी अभियंता, बाण सागर नहर निर्माण खंड-9, मिर्जापुर। तीन सहायक अभियंता (बाणसागर) 7- अवर अभियंता बाणसागर।
इनके अतिरिक्त यह भी पाया गया कि कुछ अभियंता सेवानिवृत्त हो गये जिन्होंने भी इस परियोजना का कार्य देखा तथा गंभीर लापरवाही एवं वित्तीय अनियमितता बरतीं, ऐसे दोषी 5 अभियंताओं की पेंशन रोकने के आदेश दिये गये। इस परियोजना पर बरती गयी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की जांच विशिष्ट जांच एजेंसी/आर्थिक अपराध शाखा से भी कराये जाने का निर्णय लिया गया। बाढ़ से बचाव कार्य हेतु विगत दो वर्षो मे कुछ फर्मो के आपूर्ति किए गए जीईओ-बैग की जांच, जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी ने कराई थी। आपूर्ति किए गए जीईओ-बैग अधोमानक पाये जाने व शासकीय धन की लगभग 7 करोड़ रूपए की क्षति पाये जाने के कारण एमयू खान, सहायक अभियंता बाढ़ खंड, शारदानगर ने पुलिस चौकी शारदानगर पर मुकदमा अपराध संख्या 1123/12अं0 धारा 409,420 आईपीसी, मेसर्स साइन काप्टर्स, न्यू मल्हार, सहारा स्टेट, लखनऊ, मेसर्स एलयांस कान्सट्रन्शन्स, मोहल्ला ईदगाह, लखीमपुर, मेसर्स दुधवा फूड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के विरुद्ध 19-06-12 को पंजीकृत कराया गया। अरविंद वर्मा सहायक अभियंता तृतीय, बाढ़ खंड,शारदानगर ने भी पुलिस चौकी शारदानगर पर मुकदमा अपराध संख्या-1124/12 अंतर्गत धारा 409, 420, आईपीसी, आरसीसी कन्सट्रक्शन्स कुमार मंडी, तेलीबाग लखनऊ, विश्वनाथ ट्रेडर्स, 6 लालबाग लखनऊ के विरुद्ध पंजीकृत कराया गया।
शिकायते प्राप्त होने पर टीएसी सिंचाई में तैनात लोक निर्माण विभाग के एक मुख्य अभियंता तथा 7 अधिशासी अभियंताओं को टीएसी (सिंचाई) से वापस करके लोक निर्माण विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया। यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन ने गोमती बैराज के डाउन स्ट्रीम के दायें तट पर गांधी सेतु के दोनो तरफ बने डॉ भीमराव अंबेडकर गोमती पार्क में, कारपोरेशन की निर्माण इकाई-8, लखनऊ के कार्यो में अनियमितता, पाये जाने पर यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक अबरार अहमद ने यूनिट के कार्यवाहक परियोजना प्रबंधक कृपा शंकर पांडेय एवं कार्यवाहक अवर अभियंता अशोक कुमार सिंह को तात्कालिक प्रभाव से निलंबित करते हुये जांच के आदेश दिये। इस कार्य से संबंधित अनिल कुमार वर्मा की सेवाएं भी कारपोरेशन ने तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के निर्देश दिये। प्रोजेक्ट कारपोरेशन में सिंचाई विभाग से प्रतिनियुक्ति पर उस समय कार्यरत सहायक परियोजना प्रबंधक महेश्वरी प्रसाद अपने पैतृक सिंचाई विभाग, पहले ही वापस जा चुके थे। इसी प्रकार सहकारिता विभाग में भी समीक्षा के बाद कार्रवाईयां की गई हैं।