स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा और इन संस्थानों में समान लेखा प्रणाली के कार्यान्वयन पर चर्चा के लिए कल यहां केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में समकक्ष (डीम्ड-टू-बी) विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक हुई। उन्होंने समान हितों के मामलों पर समन्वय के लिए सभी समकक्ष विश्वविद्यालयों के लिए एक परिषद के गठन का सुझाव दिया, जिसमें कुलपतियों, प्रमुख शिक्षाविदों और यूजीसी/मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रतिनिधित्व हो।
बैठक में हिस्सा लेने वाले भागीदारों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा की अवधारणा और इसके स्वरुप के बारे में जानकारी दी गई और इस पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्हें बताया गया कि सभी सीएफटीआई (केन्द्र द्वारा वित्तपोषित प्रौद्योगिकी संस्थान) के लिए बोर्ड परीक्षा के अंको को महत्व देते हुए इंजीनियरिंग के लिए एकल परीक्षा का प्रस्ताव है और इसे अपनाने के लिए समकक्ष विश्वविद्यालयों का स्वागत है जिससे परीक्षा प्रणाली को कारगर बनाया जा सके और साथ ही छात्रों के तनाव और परेशानियों को भी कम किया जा सके।
सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा के बाद समकक्ष विश्वविद्यालयों ने बोर्ड परीक्षाओं को महत्व देते हुए एकल इंजीनियरिंग परीक्षा के प्रस्ताव का स्वागत किया। उन्होंने मंत्री महोदय को विश्वास दिलाया कि दो बोर्ड परीक्षाओं और एआईईईई के अंकों के महत्व के बारे में जल्द ही अपने निर्णय की जानकारी देंगे। जिन संस्थानों की कुछ चिंताएं हैं , वे इस बारे में अवगत करा सकते हैं और उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए एक अलग बैठक की जा सकती है। सिब्बल ने यह भी साफ किया कि इससे प्रबंधन कोटा तथा समाज के कमज़ोर तबके के आरक्षण पर किसी प्रकार का फर्क नहीं पडेगा।
दूसरी प्रस्तुति सभी समकक्ष विश्वविद्यालयों में समान लेखा प्रणाली को अपनाने के संदर्भ में थी। यह निर्णय लिया गया कि सभी समकक्ष विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी के जरिए समान लेखा प्रणाली पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और आईसीएआई के गठजोड़ के साथ समकक्ष विश्वविद्यालय इसे अपनाएंगे। समकक्ष विश्वविद्यालयों सहित सभी समकक्ष विश्वविद्यालयों को लेखा प्रणाली पर मानक ई-पैकेज प्रदान किया जाएगा।