स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। भारत सरकार ने विदेशी व्यवसायिक ऋणों के लिए नई योजना शुरू की है और सरकारी प्रतिभूतियों और दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश से संबंधित युक्तिसंगत नीति जारी की है। सरकारी प्रतिभूतियों, कॉरपोरेट बॉंडों, दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश और भारतीय कंपनियों के विदेशी व्यवसायिक ऋणों तथा योग्य विदेशी निवेश से संबंधित नीति की समीक्षा की गई है और इसमें कई परिवर्तन किये गए हैं।
सरकारी प्रतिभूतियां-वर्तमान में विदेशी संस्थागत निवेशक सरकारी प्रतिभूतियों में, जिनकी परिपक्वता अवधि अभी 5 वर्ष से अधिक बाकी है, 5 अरब अमरीकी डॉलर तक निवेश कर सकते हैं, अब इस अवधि को कम करके 3 वर्ष कर दिया गया है। सरकारी प्रतिभूतियों में, जिनकी परिपक्वता अवधि अभी 3 वर्ष बाकी है, विदेशी संस्थागत निवेश के लिए 5 अरब अमरीकी डॉलर के निवेश की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। उपरोक्त संशोधनों से अब विदेशी संस्थागत निवेशक 3 वर्ष की बकाया परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों में कुल 10 अरब अमरीकी डॉलर तक का निवेश कर सकेंगे। उपरोक्त परिवर्तनों के परिणामस्वरूप विदेशी संस्थागत निवेश की कुल सीमा 20 अरब अमरीकी डॉलर हो जायेगी। सरकारी प्रतिभूतियों में, गैर-आवासी निवेशकों के आधार को व्यापक बनाने के लिए अब यह फैसला किया गया है कि स्वायत्त निधि कोष (एसडब्ल्यूएफ), बहुपक्षीय एजेंसियां, धर्मार्थ दान कोष, बीमा निधि, पेंशन निधि और विदेशी प्रमुख बैंक जैसे दीर्घावधि निवेशक सेबी के साथ पंजीकरण करके अब 20 अरब अमरीकी डॉलर की बढ़ी हुई सीमा तक सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकेंगे।
विदेशी व्यवसायिक ऋण-विदेशी व्यवसायिक ऋणों से संबंधित उच्च स्तरीय समिति ने इन ऋणों के लिए एक नई योजना शुरू करने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत भारतीय कंपनियां घरेलू बैंकिंग प्रणाली से रूपयों में प्राप्त ऋण और/या नये रूपया पूंजी व्यय की पुनर-अदायगी के लिए विदेशी व्यवसायिक ऋणों का लाभ उठा सकती हैं। इसके लिए शर्तें इस प्रकार हैं-केवल विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियां विदेशी व्यवसायिक ऋणों का लाभ उठा सकती हैं, ऐसी कंपनियां पिछले तीन वित्तीय वर्षों से लगातार विदेशी मुद्रा कमा रही हों। ऐसी कंपनियां भारतीय रिजर्व बैंक की काली सूची/चेतावनी सूची में शामिल नहीं होनी चाहिएं। इन विदेशी व्यवसायिक ऋणों का लाभ केवल पूंजी व्यय के लिए रूपयों में लिए गए ऋण, जो पहले खर्च हो चुका हैं, की पुनर-अदायगी के लिए किया जा सकता है, जो घरेलू बैंकिंग प्रणाली के खातों में अभी भी बकाया है। इसके अलावा इसका उपयोग नये रूपये पूंजी खर्च की अदायगी के लिए भी किया जा सकता है।
उपरोक्तानुसार इस प्रकार के विदेशी व्यवसायिक ऋणों की अधिकतम सीमा 10 अरब अमरीकी डॉलर होगी। कोई भी कंपनी अपनी पिछले 3 वित्तीय वर्षों में निर्यात से प्राप्त आय की वार्षिक औसत के 50 प्रतिशत तक विदेशी व्यवसायिक ऋणों का लाभ उठा सकेंगी। विदेशी व्यवसायिक ऋणों का लाभ लेने का आधार कंपनी की विदेशी मुद्रा की आय और इन ऋणों की अदायगी की क्षमता पर निर्भर करेगा। कंपनी को रिजर्व बैंक से ऋण पंजीकरण नंबर लेने के एक महीने के अंदर विदेशी व्यवसायिक ऋण की पूरी राशि ले लेनी चाहिए।
दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश की योजना का युक्तिकरण-वर्तमान में दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश की अधिकतम सीमा 25 अरब अमरीकी डॉलर है, जिसका विवरण इस प्रकार है-दस अरब अमरीकी डॉलर निवेश बीमा समर्पित कोष (आईडीएफ) में। पांच अरब अमरीकी डॉलर, उन दीर्घावधि इन्फ्रा बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश के लिए हैं, जिनकी परिपक्वता अवधि एक साल बाकी है और इतने ही समय की लॉक-इन अवधि बाकी है। तीन अरब अमरीकी डॉलर म्युचुउल फंड ऋण योजना में योग्य विदेशी संस्थागत निवेश के लिए, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की योजनाओं में भी निवेश करते हैं, बाकी की 7 अरब अमरीकी डॉलर की राशि दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश के लिए उपलब्ध है, जिनकी परिपक्वता अवधि 3 साल बाकी है और इतने ही समय की लॉक-इन अवधि भी बाकी है।
उपरोक्त योजना में इस प्रकार से संशोधन किया जा रहा है-सात अरब अमरीकी डॉलर की राशि के मामले में, जो दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंडों में विदेशी संस्थागत निवेश के लिए उपलब्ध है तथा जिनकी परिपक्वता अवधि 3 साल बाकी है और इतने ही समय की लॉक-इन अवधि भी बाकी है, विदेशी संस्थागत निवेशक द्वारा पहली खरीद के समय अब लॉक-इन अवधि एक वर्ष होगी और परिपक्वता की बकाया अवधि कम से कम 15 महीने होगी। पांच अरब अमरीकी डॉलर की अधिकतम सीमा के मामले में पहली खरीद के समय परिपक्वता की बकाया अवधि कम से कम 15 महीने होगी और लॉक-इन अवधि एक वर्ष ही होगी। बीमा समर्पित कोष (आईडीएफ) के लिए लॉक-इन की अवधि वर्तमान 3 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष की जायेगी, लेकिन इसके साथ शर्त होगी कि पहली खरीद के समय परिपक्वता की बकाया अवधि कम से कम 15 महीने हो।
म्युचुअल फंड ऋण योजनाओं में योग्य विदेशी निवेश के लिए 3 अरब अमरीकी डॉलर की सीमा के मामले में यह फैसला लिया गया है कि योग्य विदेशी निवेशक उन म्युचुअल फंड ऋण योजनाओं में निवेश कर सकते हैं, जिनकी कम से कम 25 प्रतिशत परिसम्पतियां (या ऋण या पूंजी या दोनों रूपों में) बुनियादी ढांचा क्षेत्र में हैं। कर काटने के मामले में रियायत 2012-13 के बजट की घोषणा के अनुरूप होगी। इन परिवर्तनों/नीतियों को लागू करने के बारे में राजस्व विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी आवश्यक परिपत्र जारी करेंगे।