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आयकर अधिनियम 1961 कर वंचना पर दिशा-निर्देश

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नई दिल्ली। प्रत्‍यक्ष कर संहिता विधेयक 2010 के अंतर्गत सामान्‍य कर वंचना रोकथाम नियमों-जीएएआर की व्यवस्थाओं को सही ढंग से लागू करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के बारे में सिफारिशें देने और इन व्‍यवस्‍थाओं के दुरूपयोग को रोकने के लिए उपायों का सुझाव देने के लिए केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड ने आयकर (अंतर्राष्‍ट्रीय कराधान) के महानिदेशक की अध्‍यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति की पहली बैठक 6 मार्च 2012 को हुई, जिसमें फैसला किया गया कि प्रत्‍यक्ष कर संहिता विधेयक 2010 (डीटीसी) की मौजूदा व्‍यवस्‍थाओं में कुछ संशोधनों की आवश्‍यकता है और समिति ने इस संबंध में विभिन्‍न सुझाव दिए हैं।
समिति की पहली बैठक के बाद संसद में वित्त विधेयक 2012 पेश किया गया और समिति की पहली बैठक के अधिकतर सुझावों को इसमें शामिल कर लिया गया। समिति ने वित्त विधेयक 2012 के पारित होने के दौरान संसद में दिये गए संशोधनों को शामिल करने के बाद जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं का अध्‍ययन किया। समिति ने इन अंतिम व्‍यवस्‍थाओं के संदर्भ में दिशा-निर्देर्शों, परिपत्रों के बारे में सिफारिशें की हैं। छह मार्च 2012 और 28 मई 2012 के बीच समिति की कई बैठकें हुईं, जिसमें अधिकारियों, विदेशी संस्‍थागत निवेशकों के प्रतिनिधियों, सलाहकार समिति के सदस्‍यों और अन्‍य संबद्ध पक्षों के साथ व्‍यापक विचार-विमर्श किया गया। समिति ने कुछ सिफारिशें की हैं, जिन्‍हें परिपत्रों और नियमों के रूप में प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता होगी।
वित्त अधिनियम-2012 के खंड 101 के संदर्भ में समिति ने दिशा-निर्देशों में शामिल करने के लिए कुछ सिफारिशें की हैं, जो इस प्रकार हैं-जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं का अंधाधुंध इस्‍तेमाल न हो और छोटे करदाताओं को राहत मिले, इस बारे में समिति महसूस करती है कि इन व्‍यवस्‍थाओं को लागू करने के लिए राशि की सीमा निश्चित होनी चाहिए। इसके लिए समिति ने किसी भी प्रबंध के जरिए करदाता को एक वर्ष के अंदर होने वाले कर लाभ की सीमा का भी उल्‍लेख किया है। प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए और प्राकृतिक न्‍याय के सिद्धांतों को सुनिश्चित करने के लिए समिति ने पर्याप्‍त सुरक्षात्‍मक उपायों की आवश्‍यकता महसूस की और कहा कि प्रक्रियाओं के संबंध में निर्धारित प्रपत्र (फार्म) होने चाहिएं-खंड-144 बीए (1) के अंतर्गत आयकर आयुक्‍त को आकलन अधिकारी के भेजे जाने वाला प्रपत्र (परिशिष्‍ट–ए) खंड-144 बीए (4) के अंतर्गत अनुमोदन समिति को आयकर आयुक्‍त के भेजे जाने वाला प्रपत्र (परिशिष्‍ट–बी) खंड-144बीए (5) के अंतर्गत आकलन अधिकारी को आयकर आयुक्‍त के वापस भेजे जाने वाला प्रपत्र (परिशिष्‍ट–सी)
समिति महसूस करती है कि जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं के अंतर्गत विभिन्‍न कार्यवाहियों के लिए समय सीमा का निर्धारण होना चाहिए। इनमें से कुछ समय सीमाओं का उल्‍लेख अधिनियम में खंड 144 बीए(1) और खंड 144 बीए (13) में किया गया है। अन्‍य कार्यवाहियों के लिए समिति ने सुझाव दिया है। खंड 144 बीए (4) के संदर्भ में आयकर आयुक्‍त को किसी आयकर दाता से आपत्ति प्राप्‍त होने के 60 दिन के अंदर इसे अनुमोदन समिति के पास भेजना चाहिए। आपत्ति स्‍वीकार किये जाने की स्थिति में आयुक्‍त को 60 दिन के अंदर आकलन अधिकारी को अपना निर्णय बता देना चाहिए। उपखंड 144 बीए (1) के अंतर्गत आयुक्‍त को जिस महीने आपत्ति प्राप्‍त हुई है, उस महीने के आखिर से 6 महीने के बाद आयुक्‍त के खंड 144 बीए (4) या (5) के अंतर्गत कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।
खंड 144 बीए (14) के अनुसार केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड को अनुमोदन समिति के गठन का अधिकार दिया गया है। इस समिति के गठन के बारे में आयकर (अंतर्राष्‍ट्रीय कराधान) के महानिदेशक की अध्‍यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि-केवल एक अनुमोदन समिति दिल्‍ली में बनाई जानी चाहिए। उसके बाद वित्त वर्ष 2014-15 में कार्यभार की आवश्‍यकता को देखते हुए अनुमोदन समितियों की संख्‍या के बारे में विचार किया जाना चाहिए। अनुमोदन समिति में तीन सदस्‍य होने चाहिए, जिनमें से दो सदस्‍य आयकर के मुख्‍य आयुक्‍त स्‍तर के होने चाहिए और तीसरा सदस्‍य कानून मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव या इससे उच्‍च स्‍तर का अधिकारी होना चाहिए। सभी सदस्‍य पूर्णकालिक सदस्‍य होने चाहिएं। अनुमोदन समिति के पास सचिवालय और कर्मचारी होने चाहिए तथा उसे उचित बजट और ढांचागत सहयोग मिलना चाहिए। अनुमोदन समिति के सचिवालय का अध्‍यक्ष आयकर के संयुक्‍त/अतिरिक्‍त आयुक्‍त स्‍तर का अधिकारी होना चाहिए।
जीएएआर की व्यवस्थाओं के स्‍पष्‍टीकरण और बेहतर समझ की दृष्टि से समिति ने परिपत्र में एक विस्‍तृत नोट शामिल करने का सुझाव दिया है, जिसका उल्‍लेख परिशिष्‍ट-डी में किया गया है। समिति ने विदेशी संस्‍थागत निवेशकों के प्रतिनिधियों से बातचीत की। इन प्रतिनिधियों ने निम्‍न सुझाव दिये-पूंजी बाजार सौदों को पूरी तरह से जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं से मुक्‍त रखा जाए। विभिन्‍न सौदों में अंतर किये बिना विदेशी संस्‍थागत निवेशकों के लाभों पर एक समान कर लगाने के बारे में विचार किया जाए। कर अधिकारियों को जीएएआर की प्रत्‍येक व्‍यवस्‍था के विवरण को स्‍पष्‍ट करने की कोशिश करनी चाहिए। इस समिति में शामिल अन्‍य सदस्‍य थे-संयुक्‍त सचिव (एफटी एंड टीआर-1), संयुक्‍त सचिव (एफटी एंड टीआर-2), संयुक्‍त सचिव (टीपी एल-1), अंतर्राष्‍ट्रीय कराधान निदेशक, अहमदाबाद, निदेशक (एफटी एंड टीआर-3) और अतिरिक्‍त आयकर निदेशक, रेंज-1 (आईटी), नई दिल्‍ली, सदस्‍य सचिव।
इन प्रतिनिधियों के सुझावों पर विचार करने के बाद समिति ने पहले दो सुझावों को उपयुक्‍त नहीं समझा। तीसरे सुझाव के बारे में विचार करने के बाद समिति ने सिफारिश की है कि-भारत के साथ कानून के खंड 90 या 90ए के अंतर्गत हुए समझौते के अंतर्गत यदि कोई विदेशी संस्‍थागत निवेशक, कोई लाभ नहीं लेता है और अपने देश के कानून की व्‍यवस्‍थाओं के अनुसार कर देता है, तो अध्‍याय 10ए की व्‍यवस्‍थाएं ऐसे विदेशी संस्‍थागत निवेशक या विदेशी संस्‍थागत निवेश के गैर-आवासी निवेशक पर लागू नहीं होंगी। जिस मामले में विदेशी संस्‍थागत निवेशक समझौते का लाभ उठाना चाहता है, उस मामले में जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं को लागू किया जाएगा, लेकिन विदेशी संस्‍थागत निवेश के गैर-आवासी निवेशकों के मामले में ये व्‍यवस्‍थाएं लागू नहीं होंगी। जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं के पिछली तारीख या बाद की तारीख से लागू होने के बारे में समिति ने स्‍पष्‍ट किया है कि ये व्‍यवस्‍थाएं केवल 1 अप्रैल 2013 को या उसके बाद करदाताओं को होने वाली आय पर लागू होंगी।
विशेष कर वंचना रोकथाम नियमों (एसएएआर) और सामान्‍य कर वंचना रोकथाम नियमों (जीएएआर) से संबंधित चिंताओं को दूर करते हुए समिति ने सिफारिश की है कि-एसएएआर का उपयोग नियमों के किसी विशिष्‍ट दुरूपयोग को रोकने के लिए किया जाता है, लेकिन जीएएआर का उपयोग न केवल एसएएआर को सहयोग देने के लिए होगा, बल्कि उन सभी मामलों में इसकी व्यवस्थाओं को लागू किया जाएगा, जो एसएएआर के अंतर्गत नहीं आते। सामान्‍य परिस्थितियों में, जहां विशिष्‍ट एसएएआर लागू किया जा सकता है, वहां जीएएआर लागू नहीं किया जाएगा। लेकिन करदाता के नियमों के दुरूपयोग के किसी विशेष मामले में, जहां एसएएआर को सफलता न मिल रही हो, जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं को लागू किया जा सकता है। खंड 102 (5) के अंतर्गत संबद्ध व्‍यक्ति (कनेक्टिड पर्सन) की परिभाषा को स्‍पष्‍ट करते हुए समिति ने सिफारिश की है कि-‘कि कनेक्टिड पर्सन’ के लिए खंड 92 ए में ‘एसोसिएटिड इंटरप्राइज’ की परिभाषा, खंड 56 में ‘रिलेटिव’ की परिभाषा और खंड 40ए (2) (बी) के अंतर्गत ‘पर्संस’ की परिभाषा को शामिल किया जाएगा।
खंड 96 (2) की व्‍यवस्‍थाओं के बारे में पैदा हुए संदेहों को दूर करते हुए समिति ने सिफारिश की है कि नियमों को स्‍पष्‍ट किया जाना चाहिए-जहां किसी समझौते के अंतर्गत एक हिस्‍से के बारे में अनुबंध की अनुमति नहीं है, उस मामले में ऐसे अनुबंध से हुई करों की गणना के परिणामों और प्रभावों को समझौते के उसी भाग त‍क सीमित रखा जाएगा। जीएएआर के अंतर्गत दुरूपयोंगों के स्‍पष्‍ट उदाहरणों की आवश्‍यकता को महसूस करते हुए समिति ने कहा है कि misuse or abuse, bona fide purpose and lacks commercial substance जैसे शब्‍दों की परिभाषा को उदाहरणों से स्‍पष्‍ट किया जाना चाहिए, लेकिन यह सूची केवल सांकेतिक होनी चाहिए, न कि व्‍यापक। समिति ने कुछ उदाहरण दिये हैं, जो परिशिष्‍ट-ई में दिये गये हैं। किस मामले में जीएएआर की व्‍यवस्‍थाओं को लागू किया जा सकता है, यह उस मामले के विशिष्‍ट तथ्‍यों पर निर्भर करेगा, इससे संबंधित विस्तृत विवरण, उदाहरण और परिशिष्ट सूचना कार्यालय की वेबसाइट www.PIB.in पर उपलब्‍ध है।

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