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लंदन। ब्रिटेन की संसद के हाऊस ऑफ कॉमंस में उपन्यासकार प्रदीप सौरभ को उनके उपन्यास ‘तीसरी ताली’ के लिए ‘अट्ठारहवां अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान’ प्रदान करते हुए वैस्ट ब्रॉमविच के लॉर्ड किंग ने कहा है कि लेखक ही समाज में बदलाव ला सकता है उन्होंने और आगे कहा कि कोई भी संस्कृति तभी बची रह सकती है, जब उसकी भाषा की ताक़त महफ़ूज़ रहे। लॉर्ड किंग ने सर्रे निवासी ब्रिटिश हिंदी एवं उर्दू के शायर सोहन राही को तेरहवां पद्मानंद साहित्य सम्मान भी प्रदान किया। ब्रिटेन में लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने सम्मान समारोह की मेज़बानी की।
प्रदीप सौरभ के उपन्यास के विषय पर टिप्पणी करते हुए विरेंद्र शर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में हमारी बहुत सी परंपराएं मान्य नहीं रही हैं, यह उपन्यास एक चेतावनी है कि हमें अपने समाज में हिजड़ों के प्रति नज़रिया बदलना होगा, इस विषय में उन्होंने ब्रिटेन जैसे उन्नत देशों से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने सोहन राही के सम्मान को अपने शहर का सम्मान बताया, जहां से दोनों जीवन में आगे बढ़ कर ब्रिटेन पहुंचे।
सम्मान ग्रहण करते हुए प्रदीप सौरभ ने कहा कि ‘लेखक को रचना के माध्यम से तोला जाए न कि उसके व्यक्तिगत जीवन से।’ उन्होंने आगे ज़ोर दे कर कहा-‘जीवन जीने के लिए बचपन से कितने समझौते, कितने ग़लत काम किए होंगे, मैं उन्हें स्वीकार करता हूं, मैं पत्रकार हूं, टीवी चैनल में काम करता हूं, कहने को सच्चाई की मशाल लिए खड़ा हूं, मगर सच तो यह है कि अपने अख़बार के मालिक के लिए दलाली करता हूं, मगर जब मैं लेखन करता हूं तो स्वतंत्र होता हूं। हर इंसान के चेहरे पर अनेक मुखौटे होते हैं और मैं तो मुखौटों का म्यूज़ियम हूं।’ दीप्ति शर्मा ने ‘तीसरी ताली’ के उपन्यास अंश का मार्मिक पाठ किया।
काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने समारोह में वाणी प्रकाशन की प्रकाशक आदिति महेश्वरी की उपस्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हिंदी साहित्य के लिए शुभ समाचार है कि पढ़े लिखे युवा अब हिंदी प्रकाशन क्षेत्र में पदार्पण कर रहे हैं, इससे सकारात्मक बदलाव आने की पूरी संभावना है, मैंने हमेशा ही यह कहा है कि हिंदी उपन्यास और कहानी लेखन में शोध बहुत कम किया जाता है, किंतु ‘तीसरी ताली’ पढ़ कर पता चलता है कि प्रदीप सौरभ ने हिजड़ों के जीवन पर कितना शोध किया है। काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी ने सोहन राही को हिंदी और उर्दू का श्रेष्ठ गीतकार कहा।
कथा यूके के महासचिव कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने सम्मानित पुस्तकों की चयन प्रक्रिया की बात करते हुए समारोह में मौजूद सोआस विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष फ़्रेंचेस्का ऑरसीनी से आग्रह किया कि विद्यार्थियों का सक्रिय लेखकों के साथ पारस्परिक मेलजोल ज़रूरी है, इससे ब्रिटेन में हिंदी साहित्य एवं गतिविधियों को एक नई दिशा मिलेगी। उन्होंने ‘तीसरी ताली’ उपन्यास एवं सोहन राही के गीतों एवं ग़ज़लों से परिचय करवाया। तेजेंद्र शर्मा ने ही समारोह का संचालन भी किया।
फ़्रेंचेस्का ऑर्सीनी ने तेजेंद्र शर्मा के प्रस्ताव का स्वागत किया कि भविष्य में कथा सम्मान का आयोजन ऐसे समय में किया जाए, जबकि विश्विद्यालय की कक्षाएं चल रही हों और अन्य साहित्यिक गतिविधियां भी हो रही हों। कथा यूके के अध्यक्ष कैलाश बुधवार ने उपन्यास ‘तीसरी ताली’ पर भारत के समीक्षकों की टिप्पणियां पढ़ कर सुनाईं जिनमें सुधीश पचौरी, हीरालाल नागर एवं निरंजन क्षोत्रिय की टिप्पणियां शामिल थीं।
सोहन राही की पुस्तक कुछ ग़ज़लें कुछ गीत पर अपना लेख पढ़ते हुए नॉटिंघम की कवियत्री जय वर्मा ने कहा कि ‘सोहन राही एक पीढ़ी के लिए नहीं हैं, वे युवा से लेकर सब उम्र वालों को अपने से लगते हैं, अंतर्मन की जटिल गुत्थियों को सुलझाते हुए जीने के अर्थ को अपनी संवेदनशील और मार्मिक कविताओं से जनसाधारण तक पहुंचाने में सफल हुए हैं।’ सोहन राही ने कथा यूके के निर्णायक मंडल को धन्यवाद देते हुए कहा शेर कहना मेरा शुगल ही नहीं, मेरे जीवन की उपासना है, शेर-ओ-अदब मेरा जीवन है, मेरे गीत मेरा ओढ़ना बिछौना हैं। उन्होंने अपने गीत-कोयल कूक पपीहा बानी... का सस्वर पाठ भी किया।
नेहरू सेंटर के उप-निदेशक गौरीशंकर ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि अब कथा यूके सम्मान की चर्चा यूपीएससी बैंकिंग बोर्ड एवं रेलवे बोर्ड के टेस्टों में भी होती है। सरस्वती वंदना निशि ने की, सोहन राही का मानपत्र मुंबई से पधारीं मधु अरोड़ा ने पढ़ा तो प्रदीप सौरभ का मानपत्र पढ़ा हिंदी एवं संस्कृति अधिकारी आनंद कुमार ने। कार्यक्रम में काउंसलर केसी मोहन, काउंसलर ग्रेवाल, पद्मजा, प्रोफेसर अमीन मुग़ल, अयूब ऑलिया, जितेंद्र बिल्लु, राम शर्मा मीत, अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेना, गोविंद शर्मा, नीना पॉल, महेंद्र दवेसर, पद्मेश गुप्त, निखिल कौशिक, विजय राणा, मीरा कौशिक, परवेज़ आलम, पुष्पा रॉव, कविता वाचकनवी, शन्नो अग्रवाल, वेद मोहला, डॉ महिपाल वर्मा, केबीएल सक्सेना ने भी भाग लिया।