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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सोमवार को महान राजनयिक और अर्थशास्त्री डॉ आबिद हुसैन की प्रार्थना सभा को संबोधित किया। अंसारी ने कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति के संबंध में जिसने स्वयं जीवन को साकार किया हो और जिस भी वस्तु को छुआ हो उसे जीवंत कर दिया हो, उसके संबंध में ज्यादा कहना कठिन है। वह हर समय भागीदार, प्रतिक्रियाशील, प्रगतिशील और चिंतन व्यक्त करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि इस प्रार्थना सभा में उपस्थित श्रोताओं में कई ऐसे लोग होंगे, जो आबिद साहब के जन-कल्याणकारी नीतियों के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण योगदान से परिचित होंगे। आबिद साहब विचार-विमर्श को काम करने के मार्ग में आने वाली बाधा नहीं मानते थे, बजाय इसको वह अच्छे कार्य के लिए आवश्यक शुरूआत मानते थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आबिद साहब के पास प्राथमिकता तय करने और उसे प्रदर्शित करने की यादगार काबलियत थी। राजनयिक के तौर पर अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को अपने पद के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करते समय जब रोनाल्ड रीगन ने उनसे भारत-पाकिस्तान की समस्या के बारे में पूछा तो उन्होंने इसे टालते हुए सटीकता से कहा कि वह सीमित समय को देखते हुए व्यापार और तकनीकी मुद्दों पर बातचीत को ज्यादा महत्व देते हैं। ऐस सटीक विचारों के धनी थे-आबिद साहब।