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मुंबई। दक्षिण एशिया में खिलाफत खड़ी करना और भारत में इस्लामी हुकूमत कायम करना इंडियन मुजाहिदीन का उद्देश्य है और इसमें हर तरह की मदद भी भारत के लोगों से ही मिलती है। वह भारत का घरेलू आतंकवादी नेटवर्क है। पहले अमेरिका ने उस पर पाबंदी लगायी थी, बाद में ब्रिटेन ने भी लगायी है- पर इस उवाच के साथ कि मूल रूप से वह भारत के भीतर का संगठन है। पिछले साल तेरह जुलाई को मुंबई में हुए बम विस्फोटों को एक साल पूरा हो गया है, पर सरकार को न इसके आरोपी यासीन भटकल का पता है, न रियाज भटकल का।
इस विस्फोटों में 37 लोग मारे गये थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे, पर साल भर बाद भी सरकार का यह बयान आना कि मुजफ्फर कोला की अभी छानबीन ही चल रही है, बहुत अफसोसजनक माना जा रहा है। मुजफ्फर की सऊदी की फर्म से विस्फोट के लिए पैसा आया था, गिरफ्तार लोगों ने ऐसे बयान दिये हैं। इन समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बगैर मुजाहिदीन पर रोक लग पाये, इसके आसार कम ही हैं और समर्थकों पर तभी कार्रवाई हो पायेगी, जब इस समस्या को एक वस्तुस्थिति मान कर चला जाए।
सारिका जैन के पति सुनील कुमार जैन 13 जुलाई 2011 के विस्फोट में मारे गये थे। इनके दो बच्चे हैं-सर्वज्ञ और सम्यत। सारिका को राज्य सरकार की ओर से पांच लाख और केंद्र सरकार की ओर से दो लाख रुपये मिले थे। टाटा की ओर से भी छह महीने तक 7000 रुपये प्रति माह मिले थे। पन्ना, मध्यप्रदेश में उसके बीमार सास-ससुर पड़े हैं। ससुर को बेटे की मौत के बाद ब्रेन हैमरेज हो गया था। सास को भी कुछ दिनों बाद लकवा मार गया। सारिका के दोनों बच्चे पढ़ रहे हैं। हादसे के बाद पिछले साल ही कुछ नेता सांत्वना देने आये थे। सरकार से जो मिला, वह सास और ससुर के इलाज में ही खर्च हो चुका।
सारिका जैन को अपना जीवनयापन करने के लिए किसी नौकरी की जरूरत है इसलिए अब वह नौकरी ढूंढ रही है। रीवा विश्वविद्यालय से उसने पहली श्रेणी में एम काम किया है। दहिसर, बोरीवली, मीरा रोड के किसी स्कूल में उसे एकाउंटेंट का काम चाहिए ताकि घर में बच्चों का पढ़ना-लिखना जारी रहे। यह जिक्र इसलिए है कि देखना होगा, जिनकी मदद से लोग विस्फोट कर और करा रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी हो। कितना बड़ा तमाशा है कि अपराधी विधायक निवास में आकर रहते हैं, बाद में पता चलने पर विधायक और मंत्री का सरकारी जवाब आता है कि उसे क्या पता कि उसके यहां कौन रह रहा है? क्या कर रहा है? विधायक निवास जैसे सराय हो गये हैं? और सराय बनाने के लिए आवास सरकार की ओर से मुफ्त में मिलते हों।