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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि अयोध्या में 6 दिसंबर,1992 को भारतीय संविधान एवं धर्मनिरपेक्षता को दर किनार कर बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था, जिसमें केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की मिली भगत थी, जिसकी अनदेखी लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट में होना चिंताजनक है। समाजवादी पार्टी इसके विरोध में 6 दिसंबर,2009 को काला दिवस मनाएगी। सभी जनपदों में कालीपट्टी बांधकर कार्यकर्ता अपने दुःख और रोष की अभिव्यक्ति जिला कार्यालयों में बैठक आयोजित करके करेंगे।
इस विध्वंस के दो दिन पहले यानी 4 दिसंबर 1992 को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने तत्कालीन राष्ट्रपति डा शंकरदयाल शर्मा को ज्ञापन देकर उनसे निवेदन किया था कि राष्ट्रपति होने के नाते भारत राष्ट्र और संविधान के संरक्षक के रूप में अपनी शक्ति का प्रयोग करें और राष्ट्र के बिगड़े हुए वातावरण को ठीक करने के लिए केंद्र सरकार की अनिर्णय की स्थिति समाप्त करने के लिए स्पष्ट निर्देश दें। ज्ञापन में यह भी मांग की गई थी कि जो तत्व संविधान और सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं उनकी देश तोड़क और राष्ट्रद्रोही मानकर तत्काल गिरफ्तारी की जाए और उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार को, जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और देश के संविधान की मान्यताओं के विपरीत आचरण कर रही है, अविलम्ब बर्खास्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी इस बात से बेहद चिंतित और क्षुब्ध है कि केंद्र की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार आज भी बाबरी मस्जिद ध्वंस के दोषियों को सजा दिलाने में यथेष्ट सक्रियता नहीं बरत रही है और कट्टरपंथी साम्प्रदायिक तत्वों को साम्प्रदायिक सद्भाव का वातावरण बिगाड़ने की छूट दिए हुए हैं इस कारण देश में अल्पसंख्यक असुरक्षा बोध से ग्रस्त हैं।
अखिलेश यादव का कहना है कि समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा के प्रति प्रारम्भ से ही सजग रही है। अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में मुलायम सिंह यादव ने उनकी सुरक्षा और सम्मान के लिए कई कदम उठाए थे। यहां तक कि बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए उन्होंने अपनी सरकार गंवा दी थी पर मस्जिद पर आंच भी नहीं आने दी थी। समाजवादी पार्टी ने कट्टरपंथी तत्वों की नकेल कस रखी थी जो अब कांग्रेस-बसपा की नूरा-कुश्ती के चलते फिर सिर उठाने और अल्पसंख्यकों का भयादोहन करने लगे हैं।