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भारत में खाद्यान्‍न का रिकॉर्ड उत्‍पादन

प्रौद्योगिकियों को खेती में प्रोत्‍साहित करें-पवार

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शरद पवार-sharad pawar

नई दिल्ली। भारत सरकार मानसून की किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। केंद्रीय कृ‌षि मंत्री शरद पवार ने इस प्रतिबद्धता के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों को प्रोत्‍साहित करने का आह्वान किया। कृषि मंत्री ने पिछले कुछ वर्षों में कृषि उत्‍पादन बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आज की कृषि अनुसंधान प्रणाली की सराहना की। भारतीय कृषि में अकाल और खाद्य पदार्थों के आयात के युग से अतिरिक्‍त उत्‍पादन के वर्तमान युग तक आए बदलाव का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 250 मिलियन टन से भी ज्‍यादा खाद्यान्‍न का रिकॉर्ड उत्‍पादन एक बड़ी उपलब्धि है, जिसकी अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों ने भी सराहना की है।
उन्‍होंने कहा कि भारत ने पहली बार 50 लाख टन गैर-बासमती चावल, 15 लाख टन गेहूं, 25 लाख टन चीनी और कपास की एक करोड़ से भी ज्‍यादा गट्ठों का निर्यात किया है। पवार ने सोमवार को नई दिल्‍ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, आईसीएआर के स्‍थापना दिवस और पुरस्‍कार समारोह के दौरान यह जानकारी दी। कुछ महत्‍वपूर्ण अनुसंधान परिणामों का उल्‍लेख करते हुए पवार ने कहा कि भारतीय अनुसंधान संस्‍थानों ने संशोधित उत्‍पादन प्रौद्योगिकियों के साथ फसल की कई बेहतरीन किस्‍मों, खासतौर पर चावल के सीआर धान-701, काबुली चना, मूंग और मकई की मिश्रित किस्‍मों का विकास किया। टमाटर की जीन संरचना का पता लगाने की दिशा में हाल में मिली सफलता से जैविक और गैर-जैविक दबावों से निपटने में मदद मिलेगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि सिल्‍वर पॉम्‍पेनो मछली की सफल ब्रीडिंग, ओवम-पिकअप और आईवीएफ तकनीक का प्रयोग करते हुए ईटीटी और मवेशी के माध्‍यम से मिथुन बछड़े, बछिया का जन्‍म, पशुधन और कुक्‍कुट पालन के क्षेत्र में होने वाली बीमारियों के लिए जांच किट भविष्‍य में लाभदायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कृषि उत्‍पादकता में वृद्धि करने की चुनौती का सामना करने के लिए प्राकृतिक संसाधन को आधार बनाए रखने के साथ अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों को लागू करने का आह्वान किया। अनेक वैश्विक अनुसंधान संगठनों (सार्वजनिक और निजी) ने अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों की आवश्‍यकता महसूस की है। निर्धन समर्थक कृषि संबंधी अनुसंधान एवं विकास में प्रगति करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अनुसंधान और विकास संगठनों के लिए यह जरूरी है कि वे अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के लिए व्‍यापक कृषि अनुसंधानों पर इच्छित लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए भंडारण संसाधनों पर ध्‍यान केंद्रित करें और समन्‍वय स्‍थापित करने के लिए मिल जुलकर काम करें।
कृषि मंत्री ने मानसून पर भारतीय कृषि की निर्भरता को रेखांकित करते हुए कहा कि मानसून अभी भी कृ‍षक समुदाय, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती है। इस वर्ष मानसून के लुका-छिपी के खेल के बाद पिछले दो वर्षों के उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन को बनाए रखना वास्‍तव में एक चुनौती होगी। समारोह के बाद मीडिया से बात करते हुए पवार ने कहा कि सरकार मानसून की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्‍होंने कहा कि विभिन्‍न फसलों की देर से बुवाई वाली किस्‍मों के बीजों की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध है और विभिन्‍न राज्‍यों को ये बीज भेज दिए गए हैं। पवार ने कहा कि खरीफ मौसम में दालों के उत्‍पादन में किसी प्रकार के नुकसान की भरपाई के लिए रबी दालों के बीजों की पर्याप्‍त मात्रा प्रदान करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं।
इस अवसर पर भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ एपीजे अब्‍दुल कलाम ने भी अपने संबोधन में 2020 तक भारत के खाद्यान्‍न उत्‍पादन को 350 मिलियन टन तक ले जाने के लक्ष्‍य के साथ अनुसंधान मिशनों को स्‍थापित करने का आह्वान किया।
आईसीएआर पुरस्‍कार
कृषि मंत्री ने कृषि अनुसंधान, शिक्षा, प्रौद्योगिकी के उपयोग और संचार के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट योगदान के लिए कई संस्‍थानों और किसानों समेत कई लोगों को आईसीएआर स्‍था‍पना दिवस पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया। ये पुरस्‍कार 16 श्रेणियों-अनुसंधान परियोजनाओं, जनजातीय अकाल व्‍यवस्‍था, शुष्‍क भूमि कृषि, युवा वैज्ञानिक, असाधारण शिक्षक, खोजी किसान, तकनीकी किताबों और पत्रकारिता के क्षेत्र में दिए जाते हैं। कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग राज्‍य मंत्री हरीश रावत और डॉ चरण दास महंत ने भी इस समारोह को संबोधित किया। कृषि मंत्रालय, आईसीएआर और इसके संस्‍थानों के वरिष्‍ठ अधिकारियों, केंद्र और राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालयों के कुलपतियों, राज्‍य कृषि विभागों के अधिकारियों और किसानों ने समारोह में भाग लिया।

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