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नई दिल्ली। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम वर्षा के चलते चारे की कमी हो रही है और महाराष्ट्र में तो गन्ने की खड़ी फसल को पशुचारे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने पशुपालन और मछली पालन विभागों को अपनी विभिन्न योजनाओं में फेरबदल करके चारा उत्पादन पर ज्यादा ध्यान देने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने इन विभागों तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को चारे संबंधी अनुसंधान तेज करने को भी कहा।
शरद पवार ने चारे की मांग और पूर्ति में अंतर कम करने के उद्देश्य से अपने मंत्रालय से जुड़ी संसदीय सलाहकार समिति को संबोधित करते हुए ये निर्देश दिए। उन्होंने समिति को सूचित किया कि 160 मिलियन टन दूध उत्पादन के लिए वर्ष 2020 तक 494 मिलियन टन सूखे चारे 825 मिलियन टन हरे चारे तथा 54 मिलियन टन अन्य पशु खाद्य पदार्थों की जरूरत पड़ेगी, लेकिन फिलहाल चारे की 40 प्रतिशत कमी को देखते हुए मौजूदा सिर्फ 4 प्रतिशत खेती की जमीन पर चारा उपजाना काफी नहीं है।
कृषि मंत्री ने चारा उपलब्धता बढ़ाने के लिए वैकल्पिक तरीके अपनाने को कहा और ऐसा कम बारिश वाले मौसम में इसे और जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि अन्य जिन क्षेत्रों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, वे हैं-परती जमीन और जंगल से जिन इलाकों से वनस्पति नष्ट हो चुकी है, उन्हें विकसित करना, मोटे अनाजों की पैदावार बढ़ाना और बारानी इलाकों में बुआई करना। उन्होंने उन्नत बीजों की उपलब्धता को जरूरी बताया और कहा कि बीज उपजाने और दूध उपलब्ध करने में लगे किसानों को मदद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फसल कटाई के बाद कृषि प्रबंधन पर ध्यान देने और खेती की बेकार जाने वाली चीजों को संभालना भी जरूरी है।
इस मौके पर कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री हरीश रावत और डॉ चरण दास महंत भी मौजूद थे। जो लोकसभा सदस्य इस बैठक में शामिल हुए, उनके नाम हैं-ए गणेशमूर्ति, शरीफुद्दीन शरीफ, ध्रुव्र नारायण रंगास्वामी, कल्याण सिंह, कृष्णास्वामी, केपी धनपालन, कादिर राणा, जर्नादन स्वामी, हंसराज गंगाराम अहीर, सरदार शेर सिंह घुबाया, रमेश राठौर, कुवंरजी भाई बावलिया। राज्य सभा के जिन सदस्यों ने इस बैठक में शिरकत की उनके नाम हैं-खेकिहो झिमोमी, डॉ केपी रामलिंगम, टीएम सेल्वागणपति, दर्शन सिंह यादव, मोहसिना किदवई, रेणुबाला प्रधान। राज बब्बर विशेष आमंत्रित के तौर पर शामिल हुए।