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नई दिल्ली। लोकसभा में प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल, खाद्य सुरक्षा की समस्या से निपटने के लिए बदलाव की एक मिसाल है, यह खाद्य सुरक्षा को एक अधिकार पर आधारित पद्धति से कल्याण पद्धति में परिवर्तित कर देगा, इस अधिनियम में जीवन चक्र प्रणाली को अपना कर समग्र रूप से देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे से निपटने का प्रावधान है। विकास अध्ययन संस्थान और विधायी अनुसंधान एवं एडवोकेसी केंद्र ऑक्सफेम इंडिया के ’भारत में खाद्य न्याय’ पर प्रकाशित एक बुलेटिन को जारी करते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने ये दावे किए।
खाद्य सुरक्षा बिल के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए प्रोफेसर थॉमस ने कहा कि प्रस्तावित अधिनियम दो तिहाई जनसंख्या को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने का हकदार बनाता है। इसमें महिलाओं और बच्चों को पोषण सहायता प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। गर्भवती महिलाओं, स्तन-पान कराने वाली माताओं को निर्धारित पोषण मानदंडों के अनुसार मुफ्त भोजन के अलावा छह महीनों के लिए एक हजार रुपए प्रति माह की दर से मातृत्व लाभ भी मिलेगा। इस बिल में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस), सामाजिक लेखा परीक्षा और सतर्कता समितियों के रिकॉर्डों का विभिन्न स्तरों पर खुलासा करने जैसी पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के अन्य प्रावधानों के अलावा प्रतिवेदना निवारण प्रणाली के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए हैं। वर्तमान में यह बिल खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण की स्थायी समिति के विचाराधीन है। सरकार इस स्थायी समिति के निष्कर्ष की प्रतीक्षा कर रही है, ताकि वह इस बिल को आगे बढ़ाने में अगली कार्रवाई कर सके।
खाद्य सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रोफेसर थॉमस ने कहा कि उचित मूल्य पर खाद्य पदार्थों की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार की योजना और नीति में विशेष ध्यान दिया गया है। व्यक्तिगत रूप से और परिवार स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार राज्य सरकारों और संघशासित राज्यों के प्रशासन की भागीदारी में विभिन्न योजनाएं लागू करती है। सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की है, जिसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे और गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को पूरे देश में स्थित पांच लाख से अधिक उचित दर दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से रिययती दरों पर खाद्यान उपलब्ध कराया जाता है। वर्तमान में रियायती दरों पर खाद्यान का आवंटन लगभग 6.5 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को किया जा रहा है। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के बारे में समेकित बाल विकास सेवाओं, दोपहर का भोजन, अन्नपूर्णा जैसी योजनाएं भी सरकार ने लागू की हैं।
खाद्य सुरक्षा बिल की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं–75 प्रतिशत तक ग्रामीण जनसंख्या (कम से कम 46 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी से) और 50 प्रतिशत तक शहरी जनसंख्या (कम से कम 28 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी से) को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत लाना। प्राथमिकता श्रेणी के परिवारों को 7 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति व्यक्ति प्रति माह देना, जिसमें चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3, 2 और 1 प्रति किलोग्राम होगा। सामान्य श्रेणी के परिवारों को तीन किलोग्राम खाद्यान्न प्रति व्यक्ति प्रति माह देना, जिसके मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे। राशनकार्ड जारी करने के उद्देश्य से महिलाओं को परिवार का मुखिया बनाया जाएगा। गर्भवती और स्तन-पान कराने वाली महिलाओं को मातृत्व लाभ देना। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एक सिरे से दूसरे सिरे तक कम्प्यूटरीकरण करना। तीन श्रेणी की निष्पक्ष वेदना निवारण प्रणाली। ग्राम पंचायतों और गांव परिषद जैसी स्थानीय संकायों से सामाजिक लेखा-परीक्षा कराना। विस्थापितों, बेघरबार व्यक्तियों, आकस्मिकता आपदा से प्रभावित व्यक्तियों और भुखमरी के कगार पर पहुंचे व्यक्तियों जैसे विशेष समूहों के लिए भोजन। खाद्यान्नों और भोजन न दिए जाने के मामले में खाद्य सुरक्षा भत्ता देना।