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बलात्कार हुआ अब यौन उत्‍पीड़न, जिसमें सभी शामिल

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपराधिक कानून(संशोधन) विधेयक, 2012 को संसद में पेश करने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। भारत के कानून आयोग ने ‘बलात्‍कार कानूनों की समीक्षा’ के बारे में अपनी 172वीं रिपोर्ट में तथा राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने यौन उत्‍पीड़न जैसे अपराध के लिए कठोर सजा देने की सिफारिश की थी। केंद्रीय गृह सचिव की अध्‍यक्षता में गठित उच्‍चस्‍तरीय समिति ने इस विषय पर कानून आयोग की सिफारिशों, राष्‍ट्रीय महिला आयोग और विभिन्‍न जगहों से मिले सुझावों पर गौर करते हुए आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2011 के मसौदे के साथ अपनी रिपोर्ट दी थी और सरकार से कानून बनाने की सिफारिश की थी। इसके मसौदे पर महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा कानून और न्‍याय मंत्रालय के साथ भी विचार विमर्श किया गया और आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2012 का मसौदा तैयार किया गया।
उच्चतम न्यायालय ने भी 1997 में ऐतिहासिक विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मुकदमे का निर्णय देते समय ऐसे कानून की कमी महसूस की थी। नए आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक की प्रमुख बातों के अनुसार भारतीय दंड संहिता की वर्तमान धाराओं 375, 376, 376ए, 376बी, 376सी और 376डी के स्‍थान पर अनुच्‍छेद 375, 376, 376ए और 376बी जगह लेंगे। इसमें ‘बलात्‍कार’ शब्‍द जहां कहीं भी हो, उसके स्‍थान पर ‘यौन उत्‍पीड़न’ शब्‍द का इस्‍तेमाल किया जाएगा, ताकि यौन उत्‍पीड़न अपराध में लिंग भेद से बचा जा सके और इस अपराध का दायरा भी बढ़ाया जा सके। महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े प्रमुख प्रावधानों को प्रस्तावित कानून में शामिल करने के संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक प्रतिवेदन भी दिया था। उम्मीद है कि इस विधेयक को संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों की मंजूरी मिल जाएगी।
यौन उत्‍पीड़न के लिए न्‍यूनतम सात वर्ष की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही ज़ुर्माने का भी प्रावधान होगा। यौन उत्‍पीड़न के अधिक संगीन मामले यानी अपने अधिकार क्षेत्र में किसी पुलिस अधिकारी या लोक सेवक/प्रबंधक या अपने पद का फायदा उठाने वाले किसी भी व्‍यक्ति के इसमें शामिल होने पर उसे कठोर सजा दी जाएगी, जो दस वर्ष से कम नहीं होगी और जिसे आजीवन कारावास में तब्दील किया जा सकता है, इसके अलावा जुर्माने की भी व्‍यवस्‍था होगी। यौन उत्‍पीड़न मामले में सहमति की आयु 16 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है, लेकिन किसी पुरूष द्वारा 16 वर्ष की आयु की अपनी पत्‍नी के साथ संभोग करने को यौन उत्‍पीड़न नहीं माना जाएगा। किसी महिला पर एसिड से हमला करने के लिए सजा बढ़ाने का प्रावधान भी किया गया है।
इससे पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की अभी हाल में इंदौर में हुई बैठक में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के बारे में लंबा विचार-विमर्श हुआ। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने उसमें कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के अंतर्गत लिंग समानता की गारंटी में यौन उत्पीड़न से सुरक्षा और प्रतिष्ठा के साथ कार्य करने का अधिकार शामिल है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक एक नागरिक के रूप में समान, सुरक्षित और निरापद वातावरण में कोई भी व्यवसाय या पेशा अपनाने के संवैधानिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे तैयार करने में वकीलों और सिविल सोसायटी संगठनों सहित विभिन्न भागीदारों के साथ विचार-विमर्श किया गया है। इसके कानून बन जाने के बाद विभिन्न कार्यों में महिलाओं की भागीदारी पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे महिलाएं हर प्रकार से सशक्त बनेंगी। बैठक में सदस्यों ने अनुभव किया कि ऐसा कानून समय के अनुकूल है और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने में यह महिलाओं की उचित सहायता प्रदान करेगा।

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