भाग्यश्री काले
मुंबई।मुंबई में रक्षाबंधन की परंपरागत राखियों और सोने-चांदी के धागे की रत्न जड़ित राखियों की भी खासी बहार है। आभिजात्य वर्ग में तो राखी के वो धागे ही बदल गए हैं। उनकी जगह सोने-चांदी के बने और हीरे-जवाहरात एवं रत्न जड़ित बेशकीमती धागों ने ले ली है। राशियों के कीमती पत्थरों से तकदीर लिखनेवाले फाइव स्टार ज्योतिषियों और जौहरियों के गठजोड़ ने राखी में भी आभिजात्यवर्ग और कुछ हद तक मध्यमवर्ग में अपना जल्वा बिखेरा हुआ है। कपास से बना वह पवित्र धागा पुराने जमाने की बात हो चली है। एक ज्वैलरी कारोबारी का अनुमान है कि यहां के इस खास मार्केट का यदि मोटे तौर पर हिसाब लगाया जाए तो करोड़ो रुपए से ऊपर का इसका मुंबई में कारोबार हो चुका है। जहां तक राखी के लोकल परंपरागत बाज़ार की बात है, तो वह जैसा चला करता है, चल रहा है। हां, इसमें इतना फर्क आया है कि समय और मांग के हिसाब से राखियों के भेष बदले हैं एवं सामान में महंगाई के कारण कीमतें भी बढ़ी हैं।
यूं तो हरएक पूर्णिमा सभी के मनोरथ पूर्ण करने वाली मानी गई है, किंतु इसके भी कुछ खास अवसर ऐसे हैं, जो जन-सामान्य में कुछ खास होते हैं। इनमें सदियों से श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में पूर्णिमा को मनाया जाने वाला, भाई और बहन के पवित्र प्यार का प्रतीक है-रक्षाबंधन। इस दिन बहन विशेषरूप से अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है और उनकी दीर्घायु एवं प्रसन्नता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। हर विपत्ति में भाई की बहन की रक्षा की वचनबद्धता है। भाई की कलाई पर राखी बांधने का सिलसिला बेहद प्राचीन है, जिसमें भाई भी बहन की हर प्रकार से रक्षा करने का वचन और अपनी स्थिति के अनुसार उपहार देता है।
समय के हिसाब से सबकुछ बदल रहा है। त्यौहार भी और उनसे जुड़ी परंपराएं भी। रक्षाबंधन के लिए मुंबई शहर का ब्रांडेड और लोकल मार्केट विविध प्रकार की राखियों से साथ सजा-धजा है। राखियों की ही क्यों, साथ नाना प्रकार के मिष्ठानों और पकवानों की भी बहार है। यूं तो कोई भी त्यौहार हो, मुंबई में आपको उसकी रौनक यहां के सभी बाज़ारों मे देखने को मिलती है। हां! यहां के लोकल मार्केट के बगैर मुंबई में किसी त्यौहार की धूम की कल्पना भी मत कीजिएगा। किसी भी त्यौहार का आगमन यहां के लोकल मार्केट में सबसे पहले दिखाई देती है, फिर वो गणेश चतुर्थी हो अथवा दीवाली, ईद हो या होली, नव वर्ष हो या पारसियों का त्यौहार नवरोज़। सारे त्यौहारों की सभी जरूरतें यहां पूरी हो जाती हैं और इनकी तैयारी भी मुंबई के लोकल मार्केट में देखने को मिलती है। रक्षाबंधन ऐसा ही त्यौहार है, जो दो अगस्त को है और उसकी मुख्य आकर्षण चमकती-दमकती राखियों की बिक्री यहां कई दिन पहले से शुरू हो चुकी है।
वैसे तो मुंबई के हर क्षेत्र में राखी बेचने वालों की दुकाने सजी हैं, किंतु आम मुंबई के लिए राखी का सबसे बड़ा कारोबार मुंबई में भुलेश्वर, धारावी, दादर, क्रावफोर्ड मार्केट में होता है। हर वर्ग के लिए आकर्षित करने वाली विविध प्रकार की राखियां यहां उपलब्ध हैं। राखी एक ऐसा त्यौहार है जो मध्यमवर्ग में घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए भी अनुकूल वातावरण विकसित करता है। यहां न जाने कितने परिवार हैं, जो हाथ से राखियां बनाकर अच्छी खासी मुद्रा अर्जित करते हैं। इस काम में घरेलू महिलाएं काफी पैसा कमा लेती हैं। हालांकि उनको भी उनकी मेहनत का उतना पैसा नहीं मिलता जितना बाजार को मिलता है। जो बाजार राखियों से अटा दिख रहा है, वह ऐसे ही दस्तकारों का काम है। यहां कहा भी जाता है कि मुंबई में हर हाथ में हुनर और काम है।
धारावी में राखी विक्रेता धर्मेंद्र वर्मा पिछले 15 सालों से राखी का व्यवसाय कर रहे हैं। वे राखियां अपने हाथ से बनाते हैं अथवा बाहर से बनवाते हैं। धर्मेंद्र वर्मा का कहना है कि इस साल मुंबई के मार्केट में ट्रेंड थोड़ा डिफरेंट है। इस बार ऐसी कई तरह की राखियों की एंट्री हुई है, जो पहले नहीं थीं। स्टोन, रुद्राक्ष और कार्टून राखियों के साथ ही कई हजार से लाखों रूपए तक की गोल्ड और सिल्वर राखियां भी मार्केट में मौजूद हैं। इस बार राखियों में बच्चों के चहेते कार्टून्स ने अपना कब्जा जमाया है। जहां-तहां मार्केट मै ‘कार्टूनमेनिया’ छाया है। डोरेमान, पोकेमान, बेटमेन की राखियां बच्चों के लिए सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हुई हैं। यही नहीं, द ग्रेट खली से लेकर बेन टेन, छोटा भीम, स्पाइडर मैन, सुपरमैन, बाल हनुमान, हैरी पॉटर को सभी ने खूब पसंद किया है।
कार्टून वाली राखी मार्केट में 15 से 20 रूपये में उपलब्ध है और बाल गणेश की लाइट वाली राखी करीब 60 रूपये की है। बच्चा कंपनी की सबसे ज्यादा पसंद डोरेमान और छोटा भीम है। कई दुकानों मै तो यह कार्टून राखी ख़त्म हो गई है। बड़ों के लिए मार्केट में बहुत अच्छी विभिन्न डिजाइनों वाली राखियां मार्केट में हैं। ज्यादा आकर्षण कलरफुल स्टोन वाली राखियों के लिए है। इन राखियों की कीमत करीबन 15 से 150 रुपये तक है। पुराने ज़माने की गोंदेवाली राखियां भी मार्केट में अलग ढंग से उपलब्ध हैं। रक्षाबंधन बच्चों के साथ बड़ों को भी एकदम से कलरफुल खुशियां दे रहा है।