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नई दिल्ली। गृह मंत्री शुशील कुमार शिंदे ने राज्य सभा में असम हिंसा पर हुई बहस का उत्तर देते हुए वक्तव्य दिया कि यह हिंसा असम के कोकराझार, चिरांग, धुबरी और बोंगाईगांव जिलों में 6 जुलाई, 2012 से लेकर आगे कुछ दिनों तक होती रहीं हैं। असम सरकार से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, वहां विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर बोडालैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) के बोड़ो और गैर-बोड़ो समुदायों के बीच अंदरूनी आक्रोशपूर्ण तनाव चल रहा था। हिंसा की हाल ही में फैली व्यापकता का कारण वे घटनाएं थीं, जो मुख्य रूप से 6 जुलाई, 2012 और 19 एवं 20 जुलाई, 2012 के बीच हुईं।
उन्होंने बताया कि 6 जुलाई, 2012 को कामतापुरी लिबरेशन आर्गनाइजेशन के आतंकवादियों ने गोसाईगांव पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले मुस्लिम पारा गांव में अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय के दो लोगों की मृत्यु हो गई और तीन घायल हो गए। इस संबंध में दर्ज किए गए मामले में एक केएलओ आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इसके बारे में क्षेत्र के मुस्लिम लोगों को अवगत कराया गया था, किन्तु उन्होंने इस बात पर विश्वास नहीं किया और इस घटना में उन्होंने बोड़ो असामाजिक तत्वों का हाथ होने की प्रबल आशंका व्यक्त की।
दिनांक 19 जुलाई, 2012 को अज्ञात मोटर साइकिल सवार असामाजिक तत्वों ने महीबुल हक उर्फ रातुल और मोहम्मद अबू सिद्दीकी, ये दोनों मगुरमारी गांव के थे और आल बोडालैंड मुस्लिम स्टूडेन्ट्स यूनियन (एबीएमएसयू) के पदाधिकारी थे, के घर के सामने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। बीस जुलाई, 2012 को रात में चार बोडो युवकों पर कोकराझार पुलिस स्टेशन के अन्तर्गत जयपुर में कुछ अज्ञात मुस्लिम युवकों ने धारदार हथियारों से उस समय हमला कर दिया जब वे भाटियापारा की तरफ से कोकराझार की ओर आ रहे थे, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
इन चार बोडो युवकों की हत्या की इस विशिष्ट घटना के पश्चात साम्प्रदायिक घटनाएं तेजी से शुरु हो गईं। प्रारम्भ में ये घटनाएं कोकराझार जिले तक सीमित थीं, किन्तु बाद में एबीएमएसयू और आल असम मुस्लिम स्टूडेन्ट्स यूनियन के 23 जुलाई, 2012 को किए गए बंद के आह्वान के पश्चात, तनाव निकटवर्ती धुबरी और चिरांग जिलों में भी फैल गया। इसके बाद, कोकराझार और चिरांग जिलों में 5 और 6 अगस्त, 2012 को पुन: हिंसा हुई, जिसके परिणामस्वरूप 8 व्यक्ति मारे गए और 2 व्यक्ति घायल हो गए। दिनांक 24 जुलाई, 2012 से 4 अगस्त, 2012 के बीच हिंसा की किसी बड़ी घटना की सूचना नहीं मिली। कोकराझार और चिरांग जिलों में 5 और 6 अगस्त, 2012 को हिंसा की ताजा घटनाएं होने की सूचना प्राप्त हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 8 व्यक्ति मारे गए और 2 व्यक्ति घायल हो गए। दिनांक 7 अगस्त और 8 अगस्त, 2012 को कोकराझार जिले में चार और क्षत-विक्षत शव मिले थे।
गृहमंत्री का कहना है कि असम में आठ अगस्त की स्थिति के अनुसार, इस हिंसा में 50 घायल व्यक्तियों सहित (14 पुलिस कार्मिकों) कुल 77 व्यक्ति मारे गए हैं और 7 लापता हैं तथा 244 गांव एवं 47,936 परिवार प्रभावित हुए हैं और 5,367 मकानों में आग लगा दी गई थी। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए 340 राहत शिविर स्थापित किए थे। प्रभावित क्षेत्रों में सेना का फ्लैग मार्च और असम पुलिस तथा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की गश्त जारी है। अब तक हिंसा/आगजनी आदि में लिप्त 170 से अधिक व्यक्तियों को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया है।
जातीय हिंसा के संबंध में 309 मामले दर्ज किए गए हैं। छह प्रमुख मामलों की जांच करने के लिए एडीजीपी (सीआईडी) के समग्र प्रभार में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया है। प्रभावित लोगों को पूर्ण सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए विस्तृत सुरक्षा योजना बनाई गई है। संवेदनशील गांवों में 104 स्थायी पुलिस पिकेट प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें से 99 पिकेट स्थापित किए जा चुके हैं। उन्हें प्रभावित गांवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जिला प्रशासन को कानून और व्यवस्था बनाए रखने, राहत कार्य और अन्य संबंधित मामलों में सहायता प्रदान के लिए अन्य जिलों से अनेक सिविल और पुलिस अधिकारियों को भेजा गया है। राहत कार्यों की निगरानी के लिए राज्य के मुख्यालय से वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजा गया है। हिंसा से प्रभावित लोगों को उचित अनुग्रह अनुदान और पुनर्वास अनुदान दिया जाएगा। राहत और पुनर्वास उपायों की मौजूदा स्थिति से पता चलता है कि अति आवश्यक समय पर 4,80,000 से अधिक व्यक्तियों के लिए 340 राहत शिविर स्थापित किए गए थे। आठ अगस्त, 2012 की स्थिति के अनुसार, 3,41,930 (लगभग) व्यक्तियों सहित 239 राहत शिविर चल रहे हैं। एक राहत शिविर बंद कर दिया गया है और 1,44,000 से अधिक लोग अपने-अपने गांवों को लौट गए हैं।
सरकार ने असम में होने वाली लूटमार के कृत्यों की कड़ी निन्दा की है। दोनों समुदायों के नेताओं से अनुरोध किया गया है कि वे इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति की बहाली के लिए मध्यस्थता करें। सीबीआई ऐसे कतिपय मामलों को जांच के लिए अपने हाथ में लेगी, जिनमें षड्यंत्र की संभावना दिखाई पड़ रही है। इस प्रयोजन के लिए, सीबीआई के अपर निदेशक और गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव, उत्तर पूर्व को गुवाहाटी भेजा गया है। केन्द्र सरकार हिंसा को रोकने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए असम सरकार को हर सम्भव सहायता प्रदान कर रही है। गृह मंत्री ने सदन के सदस्यों के उठाए गए संबंधित प्रश्नों का भी जवाब दिया।