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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नये महाविद्यालयों व संस्थानों को खोले जाने तथा वर्तमान महाविद्यालयों व संस्थानों में स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर के अतिरिक्त विषयों व पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने के संबंध में पूर्व में जारी शासनादेशों के अनुसार मानकों के निर्धारण तथा इनके पालन के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अनापत्ति, क्लीयरेंस, सम्बद्धता प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की अध्यक्षता में गठित समिति को दे दिया गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में सचिव उच्च शिक्षा सुशील कुमार ने यह शासनादेश जारी कर दिया है। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गए हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मंडलायुक्तों को निर्देशित किया गया है कि उनके कार्यक्षेत्र में लंबित अनापत्ति, क्लीयरेंस, सम्बद्धता संबंधी प्रस्तावों को संबंधित विश्वविद्यालयों को तत्काल प्रेषित कर दें, साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों के समस्त कुलसचिवों को निर्देशित किया गया है कि उनके कार्य क्षेत्र में प्रस्तावित अनापत्ति, क्लीयरेंस प्रस्तावों को गठित समिति के समक्ष तत्काल प्रेषित करें।
सचिव उच्च शिक्षा ने बताया कि इससे पूर्व 29 जून 2009 को जारी शासनादेश निरस्त कर दिया गया है। नए शासनादेश के अनुसार अनापत्ति, क्लीयरेंस, संबद्धता प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित समिति को दिया गया है। नई व्यवस्था के मुताबिक विश्वविद्यालय के कुलपति अपने स्तर से समिति में सदस्य नामित करेंगे। कुलपति इस समिति में जहां पर महाविद्यालय स्थित या प्रस्तावित है, उस जनपद के जिलाधिकारी से नामित डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को सदस्य के रूप में शामिल करेंगे, ताकि समिति भूमि संबंधी राजस्व अभिलेखों का समुचित परीक्षण कर सके।
उन्होंने बताया कि इस समिति संबंधित महाविद्यालय, संस्थान से अनापत्ति हेतु प्राप्त प्रस्तावों के परीक्षण के बाद अनुशंसा/संस्तुति प्रदान करेगी, जिसके क्रम में अनापत्ति, क्लीयरेंस, संबद्धता का आदेश संबंधित विश्वविद्यालय निर्गत करेगा। उन्होंने बताया कि यह आदेश राज्य सरकार की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर विशेष अपील में पारित अंतिम निर्णय के अधीन होगा।