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आधुनिक शिक्षा सर्वांगीण विकास में सक्षम नहीं-टंडन

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश का प्रादेशिक सम्मेलन

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शैक्षिक महासंघ सम्मेलन-educational federation conference

लखनऊ। शिक्षा के मूलभूत उद्देश्यों को भुलाकर आधुनिक शिक्षा बच्चों का सर्वांगीण विकास करने में सक्षम नहीं है। शिक्षा बालक का समेकित विकास करने में समर्थ हो सके, इसके लिए आवश्यक है कि सूचनाओं से लैस कराने के साथ-साथ उसमें नैतिक, सांस्कृतिक, संस्कार देने वाले, मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील प्रतिमानों तथा पाठों को भी सम्मिलित किया जाए, तभी वह ज्ञान प्रभावी और भविष्य की दृष्टि से अधिक उपयोगी होगी। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में महासंघ के दो दिवसीय प्रादेशिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि सांसद लालजी टंडन ने ये विचार व्यक्त किए।
निराला नगर स्थित माधव सभागार में प्रदेश भर से आये 600 शिक्षकों को संबोधित करते हुए शैक्षिक महासंघ के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री ओमपाल सिंह ने कहा कि शिक्षा और शिक्षक को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च के भेद से बांटने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के सभी शिक्षकों को एक प्लेटफार्म प्रदान कर समेकित विचार करने वाला संगठन है। शैक्षिक महासंघ से जुड़ा शिक्षक देशहित सबसे पहले सोचता है और बाद में अपना हित, परंतु शिक्षकों की जो बुनियादी समस्याएं हैं, उन्हें सरकार को अवश्य दूर करना चाहिए।
ओमपाल सिंह ने शिक्षा के नाम पर हो रहे नित्य नए प्रयोग को शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ बताया तथा भारत की श्रेष्ठ ‌शिक्षा परंपरा का स्मरण करते हुए कहा कि कभी मैक्समूलर ने भारतीय शिक्षा पद्धति की प्रशंसा करते हुए कहा था कि काश यूरोप में भी भारत के जैसी शिक्षा व्यवस्था होती, इसे हमारे नीति निर्धारकों को याद दिलाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ निर्मला यादव ने शिक्षकों की समस्याओं को उठाया और कहा कि प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य करने के बाद भी स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति न करना, शिक्षामित्रों से काम चलाना तथा शिक्षा का वृहद निजीकरण कर शिक्षा को गर्त में ले जाने की कोशिश की जा रही है। शिक्षकों की मांगों पर सरकार ध्यान नहीं देती है, वह उसके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करती है, जहां शिक्षा शिक्षक, शिक्षण केंद्र तथा छात्र दुर्दशा को प्राप्त होते हैं, वहां राष्ट्रीय विकास सबसे पीछे छूट जाता है, इसलिए शासन को शिक्षा और शिक्षक की समस्याओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर डॉ विजय कर्ण के संपादन में छपी राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की पत्रिका शैक्षिक संकल्प के विशेषांक का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनिल कुमार सिंह, डॉ विनोद बनर्जी, डॉ गोविंद तिवारी, डॉ जगदीश सिंह दीक्षित, डॉ ऋषिदेव त्रिपाठी, डॉ पुष्पेंद्र मिश्रा, डॉ हरनाम सिंह, डॉ एसपी त्रिपाठी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ विजय कर्ण ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर अनिल सिंह ने किया।

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