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देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल अज़ीज़ कुरैशी ने रविवार को राजभवन के प्रेक्षागृह में रचनाकार हेमचंद्र सकलानी के यात्रा वृत्तांत विरासतों की खोज भाग-3 का विमोचन किया। मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में राज्यपाल ने लेखक के यात्रा वृत्तांत की प्रस्तुति के प्रयास की सराहना करते हुए किसी प्रसिद्ध लेखक की पंक्तियों का उल्लेख किया, जिसके अनुसार दुनिया और उसकी सभ्यता एक ऐसी किताब की तरह है, जिसका पहला और आखिरी पृष्ठ खो गया है।
राज्यपाल ने कहा कि यात्रा वृत्तांत पर आधारित रचनाएं किसी भी देश, क्षेत्र की सभ्यता, संस्कृति व इतिहास की विरासतें होती हैं, लेखक को किसी भी संस्कृति सभ्यता को धर्म के साथ मिश्रित नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस क्रम में अपनी इंडोनेशिया देश की यात्रा का वृत्तांत सुनाते हुए कहा कि उन्होंने 93 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस देश में रामायण, रामलीला तथा रामचरित मानस को हिंदुस्तान से ज्यादा सम्मान देते हुए देखा है।
राज्यपाल ने कहा कि कोई भी देश केवल अनेक भाषा, बोली, रहन-सहन या धर्म से नहीं, बल्कि अपनी विरासत से पहचान बनाता है। हम सबका नैतिक व धार्मिक कर्तव्य है कि हम अपने देश की रक्षा, राष्ट्रीय एकता तथा बंधुत्व की रक्षा के लिए संकल्प के साथ अपनी समृद्ध विरासतों की रक्षा का भी संकल्प लें। राज्यपाल ने अनेक संस्मरणों के माध्यम से अपने साहित्य प्रेम एवं कला के प्रति उदारवादी व्यक्तित्व का परिचय देते हुए कार्यक्रम में उपस्थित लेखकों, रचनाकारों तथा कलाकारों को आश्वस्त किया कि उनकी रचनाधर्मिता से जुड़ी गतिविधियों के लिए राजभवन का प्रेक्षागृह सदैव उपलब्ध रहेगा।
इस अवसर पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकृति से कवि रमेश पोखरियाल ’निशंक’, पद्मविभूषण सुंदर लाल बहुगुणा, पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों ने लेखक के प्रयासों की सराहना करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। वक्ताओं ने राज्यपाल के संबोधन को अत्यंत प्रेरणास्पद बताते हुए उन्हें भारतीय संस्कृति व विरासत में निहित मूल चिंतन राष्ट्रीय एकता बंधुत्व का सशक्त प्रतिनिधि बताया। उद्गार साहित्यिक सामाजिक मंच के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में पद्मश्री अवधेश कौशल सहित अनेक बुद्धिजीवी, लेखक, चित्रकार, रचनाकार तथा समाजसेवी उपस्थित थे।